Shravan Purnima Vrat vidhi । श्रावण पूर्णिमा व्रत विधि

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पूर्णिमा का व्रत हर माह में रखा जाता है। श्रावण पूर्णिमा व्रत के दिन “वेदों का उपाकर्म” बताया गया है। इस दिन सप्त ऋषियों की पूजा करने का विधान है। यह व्रत वैदिक कार्यों को पूर्ण करने वाला माना जाता है।

श्रावण पूर्णिमा व्रत विधि (Shravan Purnima Vrat Vidhi in Hindi)

नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास को पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन देवताओं , ऋषियों तथा पितरों का तर्पण करना चाहिए। विभिन्न प्रकार की पूजा विधियों द्वारा ऋषियों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन लाल कपड़े में सरसों और अक्षत रखकर उसे लाल धागे से बांधकर पानी से सींचकर तांबे के बर्तन में रखना चाहिए।

इसके बाद भगवान विष्णु सहित अन्य देवताओं की पूजा करनी चाहिए। पूजा समाप्ति पर ब्राह्मण से अपने हाथ पर पोटली का रक्षा सूत्र बंधवाना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उनको दक्षिणा दे वेदों का स्वाध्याय करना चाहिए।

श्रावण पूर्णिमा व्रत फल (Benefits of Shravan Purnima Vrat in Hindi)

इस व्रत का विधिपूर्वक पालन करने से व्यक्ति यदि वर्ष भर वैदिक कर्म करना भूल गया हो या न किया हो तो इस व्रत के फलस्वरूप उसे सभी कर्मों का फल मिल जाता है। यह अकेला व्रत पूरे साल किए गए अन्य व्रतों की तुलना में समान फल देता है।

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