हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित शिव चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। भविष्यपुराण के अनुसार प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को “शिव चतुर्दशी” कहते हैं।इस दिन पूरे विधि-विधान से शिव जी की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि के बंधन से मुक्त हो जाता है।
शिव चतुर्दशी व्रत विधि (Shiv chaturdashi vrat vidhi in Hindi)
भविष्यपुराण के अनुसार शिव चतुर्दशी व्रत में भगवान शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी और शिवगणों की पूजा की जाती है। शिव चतुर्दशी का व्रत करने वाले जातक को त्रयोदशी के दिन मात्र एक समय भोजन करना चाहिए।
इसके उपरांत चतुर्दशी के दिन व्रत का संकल्प लेकर शिव जी की धूप, दीप पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। शिवजी की पूजा में भांग, धतूरा और बेलपत्र का विशेष महत्व होता है।
चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए। शिवजी के कुछ विशेष मंत्र निम्न हैं:
“ऊँ नम: शिवाय” व ” शिवाय नम:”
रात को सोते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक।
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम्।।
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू।
नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः।।
नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे।
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गतः।।
मान्यता है कि शिव मंत्रों का जाप शिवालय यानि शिव मंदिर या घर के पूर्व भाग में बैठकर करने से अधिक फल प्राप्त होता है।
चतुर्दशी के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराके स्वयं भोजन करना चाहिए।
शिव चतुर्दशी व्रत का फल (Benefits of Shiv chaturdashi vrat in Hindi)
शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा उसके स्वयं के सारे कष्ट दूर हो जाते है तथा वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोग करता है। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान एवं विद्या आदि प्राप्त कर अंत में शिवलोक जाता है।