स्कंदपुराण के अनुसार त्रयोदशी तिथि में सांयकाल को प्रदोष काल कहा जाता है। धर्म, मोक्ष और सुख की प्राप्ति के लिए भक्तों को प्रदोष काल में शिवजी की पूजा करनी चाहिए।
प्रदोष व्रत विधि (Pradosh Vrat Vidhi in Hindi)
प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन सूर्यास्त से पहले स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद सायंकाल में विभिन्न पुष्पों, लाल चंदन, हवन और पंचामृत द्वारा भगवान शिवजी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय एकाग्र रहना चाहिए और शिव-पार्वती का ध्यान करना चाहिए। मान्यता है कि एक वर्ष तक लगातार यह व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप खत्म हो जाते हैं।