Goverdhan Puja Vrat Vidhi । गोवर्धन-पूजा व्रत विधि

Goverdhan-Puja-Vrat-Vidhi

हिन्दू धर्मानुसार कार्तिक महीना बेहद शुभ माना जाता है। इस महीने का एक अहम त्यौहार है गोवर्धन -पूजा। गोवर्धन पूजा को कई लोग अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गाय माता की पूजा की जाती है। महाभारत समेत कई हिन्दू ग्रंथों में इस व्रत का वर्णन किया गया है।

गोवर्धन पूजा से संबंधित कथा (Story of Goverdhan Puja in Hindi)

गोवर्धन पूजा की कथा श्रीकृष्ण काल से जुड़ी है। मान्यतानुसार ब्रज में इंद्र देव की पूजा करने का रिवाज था, जिसे समाप्त कर भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन की पूजा करना प्रारंभ किया था। श्रीकृष्ण जी का यह तर्क था कि इंद्रदेव तो वर्षा कर मात्र अपने कर्म को निभा रहे हैं लेकिन गोवर्धन पर्वत हमें ईंधन, फल आदि देकर हमारी सेवा भी करता है। इस बात पर देव इंद्र को बहुत क्रोध आया और उन्होंने ब्रज में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर दी।

बाढ़ से ब्रजवासी बड़े परेशान हो गए तथा अपने प्राण बचाने के लिए इधर -उधर भागने लगें। इस स्थिति में भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कानी ऊंगली पर उठा लिया, जिसके नीचे आकर सभी ब्रजवासियों ने अपने प्राण बचाए। इस घटना के बाद से ही गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

गोवर्धन पूजा विधि (Vdhi of Goverdhan Puja in Hindi)

इस दिन प्रातः स्नान करके पूजा स्थल पर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाना चाहिए। इस पर्वत पर श्रद्धापूर्वक अक्षत,चंदन, धूप, फूल आदि चढ़ाना चाहिए। पर्वत के सामने दीप जलाना चाहिए तथा पकवानों के साथ श्रीकृष्ण प्रतिमा की भी पूजा करनी चाहिए।

इसके बाद पकवान जैसे गुड़ से बनी खीर, पुरी, चने की दाल और गुड़ का भोग लगाकर गाय को खिलाना चाहिए तथा पूजा के पश्चात परिवार के सभी सदस्यों को भी भोग लगे हुए प्रसाद को ही सबसे पहले खाना चाहिए।

गोवर्धन पूजा का महत्त्व (Importance of Goverdhan Puja in Hindi)

मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की सहायता से इंद्र का घमंड चूर किया था तथा स्वयं गोवर्धन पर्वत ने ब्रजवासियों को अपने दर्शन देकर छप्पन भोग द्वारा उनकी भूख मिटायी थी। इस प्रकार गोवर्धन पूजा करने से घर में दरिद्रता का वास नहीं होता तथा घर हमेंशा धन और अन्न से भरा रहता है।

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