आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को “गोपद्म व्रत” रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की विशेष रूप से पूजा की जाती है। गोपद्म व्रत सभी सुखों को प्रदान करने वाला माना जाता है।
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत विधि (Ashadha Purnima or Gopad Purnima Vrat Vidhi)
नारद पुराण के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा व्रत जिसे गोपद्म व्रत भी कहते है, के दिन व्रती को प्रातः स्नान कर लेना चाहिए। पूरे दिन श्री हरि विष्णु का ध्यान करना चाहिए। ध्यान करते हुए उनके चार हाथ , विशाल व सुंदर सुडौल शरीर, शंख, चक्र, गदा, पद्म, लक्ष्मी तथा गरुण आदि के बारे में चिंतन करना चाहिए।
इसके साथ ही विभिन्न देव गण उनकी सेवा में लगे हुए हैं ऐसा सोचना चाहिए। ऐसे ही विष्णु भगवान का चिंतन करते हुए उनकी धूप, दीप, गंध, फूल आदि वस्तुओं से विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए। पूजा समाप्ति पर आचार्य और ब्राह्मणों को विभिन्न प्रकार के पकवान खिलाने चाहिए तथा वस्त्र, आभूषण आदि दान करना चाहिए।
गोपद्म व्रत फल (Benifits of Gopad Purnima Vrat)
गोपद्म व्रत का पूरी श्रद्धाभाव से पालन करने पर भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते है तथा व्यक्ति को मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इसके अलावा इस व्रत की महिमा से व्रती संसार के सभी सुखों को प्राप्त कर स्वर्ग में निवास करता है।