Marriage date calculator विवाह योग ज्योतिष
विवाह समय निर्धारण के लिये सबसे पहले कुण्डली में विवाह के योग देखे जाते है। इसके लिये सप्तम भाव, सप्तमेश व शुक्र से संबन्ध बनाने वाले ग्रहों का विश्लेषण किया जाता है। जन्म कुण्डली में जो भी ग्रह अशुभ या पापी ग्रह होकर इन ग्रहों से दृ्ष्टि, युति या स्थिति के प्रभाव से इन ग्रहों से संबन्ध बना रहा होता है। वह ग्रह विवाह में विलम्ब का कारण बन रहा होता है।
इसलिये सप्तम भाव, सप्तमेश व शुक्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव जितना अधिक हो, उतना ही शुभ रहता है (Higher influence of the auspicious planets is good for marriage)। तथा अशुभ ग्रहों का प्रभाव न होना भी विवाह का समय पर होने के लिये सही रहता है। क्योकि अशुभ/ पापी ग्रह जब भी इन तीनों को या इन तीनों में से किसी एक को प्रभावित करते है। विवाह की अवधि में देरी होती ही है।
जन्म कुण्डली में जब योगों के आधार पर विवाह की आयु निर्धारित हो जाये तो, उसके बाद विवाह के कारक ग्रह शुक्र (Venus is the Karak planet for marriage) व विवाह के मुख्य भाव व सहायक भावों की दशा- अन्तर्दशा में विवाह होने की संभावनाएं बनती है। आईये देखे की दशाएं विवाह के समय निर्धारण में किस प्रकार सहयोग करती है:-