Divya Swapn Sidh Mani Bhadra Chetak Sadhana : व्यक्ति कई वार स्वप्न के माध्यम से ऐसे लोगो की यात्रा कर लेता है जो समान्य रूप में कर पाना बहुत मुश्कल होता है !स्वप्न के माध्यम से दिव्य लोको की ही नहीं और भी कई परकार का ज्ञान हासिल किया जा सकता है ! स्म्यन्य व्यक्ति का अपने स्वप्न पे अधिकार नहीं होता और वोह वोही देखता है जो प्रकिरती उसे दिखाती है !जयादा कर आपके स्वप्न कीलित कर दिए जाते है प्रकिरती के माध्यम से जब आप स्वप्न में किसी दिव्य लोक की यात्रा करते है जा देव दर्शन करते है !
आप समय से पहले रहस्य उद्घाटित का कर सके इस लिए ऐसा कर दिया जाता है !जिस के बाद आपको कुश भी याद नहीं रहता !कई वार अंतर मन चेतना मय होता है तो आप कुश दृश समरण रख पाते है ! जयादा कर स्वप्न आपके खान पीन और रहन सहन पे निर्भर करते है जैसा महोल होता है वैसा ही स्वप्न में उद्घाटित हो जाता है ! क्यों के प्रकिरती आपके म्होह के जैसा ही रूप अखित्यार कर लेती है !फिर आज का महोल अनेक मानसिक चिंता से ग्रस्त है तो मूल रूप में स्वप्न को भी भर्वावित करता है !
इस लिए स्वप्न पे अधिकार रख पाना मुश्कल होता है ! व्ही सिद्ध पुरष दिव्य स्वप्न संसार को भेत कर उन दिव्य लोको से संम्पर्क कर लेते है जहाँ समान्य रूप में नहीं जाया जा सकता और उन दिव्य आत्मायो से ऐसी दिव्या सिधिये और साधनाए हासिल कर लेते है और उस लोक में जो उन्हें प्रवेश दिला देती है !इसी तरह सिधाश्रम में भी स्वप्न के माध्यम से यात्रा की जा सकती है और उन दिव्य सिद्ध सन्यासियों से मिला जा सकता है उन से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है ! व्ही किसी व्यक्ति के भूत भविष में भी झाका जा सकता है !
परम पूज्य सद्गुरुदेव ने समय समय ऐसी बहुत सी साधनाए दी और उनका उलेख्या मन्त्र तंत्र यंत्र विज्ञानं में भी किया जैसे सप्नेश्व्री विधा और पंच्गुली कल्प जैसी अनेक दिव्य साधनाए दी जो आप के सवप्न पे अधिकार करा आपको दिव्यता से भर देती है व्ही पंचागुली कपल सिद्ध होने से आप किसी भी व्यक्ति का हाथ देख कर उस के जीवन की छोटी से छोटी घटना के वारे में भी बता सकते हो !हम बात स्वप्न साधना पे कर रहे थे !
स्वप्न के माध्यम से कई वार ऐसी दिव्य जड़ी बूटियों के वारे भी ज्ञान मिल जाता है तो बहुत मेहनत से भी प्राप्त करना मुश्कल होता है व्ही स्वप्न के माध्यम से लोटरी सट्टे का नोम्बेर भी लिया जा सकता है !जू तो स्वप्न तंत्र अपने आप में सम्पूर्ण तंत्र है जिसे हिन्दू और मुस्लिम दोनों मतो में सन्मान दिया गया है !स्वप्न के वारे हमारे शास्त्र भरे पड़े है ! रजा जनक को भी स्वप्न के माध्यम से ज्ञान पिपासा हुई थी !
अब बात करते है ऐसी कोन सी साधना की जाये जिस से हम स्वप्न संसार को भेद कर अपने स्वप्न पे अधिकार करते हुए अपने स्वप्न को मन चाही गति जा दिशा दे सके !इस के लिए जा तो आप स्प्नेश्व्री महा विधा करे जा फिर साबर तंत्र में एक बहुत अशी साधना है मणि भद्र चेटक उसका उलेख मैं जहाँ कर रहा हू ! विधि —१ यह एक दिवसीय साधना है ! २ इसे जब सोमवार को पुष्य नशत्र हो उस रात्रि को करे ! ३ इस के लिए आप सफ़ेद वस्त्र धारण करे और आसन भी सफ़ेद ले ! ४ इसे पीपल के पेड़ नीचे बैठ कर करना है !
५ एक जल का लोटा ले उस में चमेली के पुष्प ड़ाल ले अब पीपल के पेड़ नीचे उतरा विमुख हो कर बैठ जाये गुरु पूजल करे और स्वप्न साधना की आज्ञा ले !फिर पीपल का पांचो उपचार से पूजन करे और एक तेल का दिया लगा दे धूप अदि जला दे !और पाँच माला गुरु मन्त्र करने के बाद निम्न मंत्र की ५१ माला करे और नमश्कार कर मणि भदर को जप समर्पित करे और जो लोटा चमेली के पुष्प ड़ाल कर अपने पास रखा है !उस जल को पीपल पे अर्पित कर दे !और नमस्कार कर घर को य़ा जाये इस परकार यह साधना सिद्ध हो जाती है !
मंत्र -: ॐ मणि भद्राये चेटकये मम स्वप्न दर्शन करू करू स्वाहा !!