Pongal । पोंगल

Pongal

किसानों का त्यौहार पोंगल मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। चार दिनों तक मनाया जानेवाला यह त्यौहार कृषि एवं फसल से संबंधित देवता को समर्पित है। पारंपरिक रूप से संपन्नता को समर्पित इस त्यौहार के दिन भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद भोग लगाया जाता है उसे पोगल कहा जाता है, जिस कारण इस त्यौहार का नाम पोंगल पड़ा।

पोंगल त्यौहार मुख्यतः चार तरह का होता है:

* भोगी पोंगल

* सूर्य पोंगल

* मट्टू पोंगल

* कन्या पोंगल

पोंगल पर्व मुख्यत चार दिन मनाया जाता है। यह चार पोंगल क्रमशः क्रमबद्ध रूप से मनाए जाते हैं। इस पर्व में पहले दिन भगवान इन्द्र की पूजा होती है और नाच-गान होता है। दूसरे दिन चावल उबाला जाता है और सूर्य भगवान की पूजा होती है। तीसरे दिन पशुओं का पूजन कर उनका आरती उतारी जाती है। चौथे दिन मुख्य त्यौहार मनया जाता है और भाइयों के लिए पूजा की जाती है।

पोंगल के मुख्य आकर्षण (Main Attraction of Pongal)

पोंगल दक्षिण भारत में बहुत ही जोर शोर से मनाया जाता है। इस दिन बैलों की लड़ाई होती है जो कि काफी प्रसिद्ध है। रात्रि के समय लोग सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और एक दूसरे को मंगलमय वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। इस पवित्र अवसर पर लोग फसल, जीवन में प्रकाश आदि के लिए भगवान सूर्यदेव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

किसानों का त्यौहार पोंगल मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। चार दिनों तक मनाया जानेवाला यह त्यौहार कृषि एवं फसल से संबंधित देवता को समर्पित है। पारंपरिक रूप से संपन्नता को समर्पित इस त्यौहार के दिन भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद भोग लगाया जाता है उसे पोगल कहा जाता है, जिस कारण इस त्यौहार का नाम पोंगल पड़ा। पोंगल 2015 (Pongal 2015): इस वर्ष पोंगल 15 जनवरी 2015 को मनाया जाएगा। पोंगल त्यौहार मुख्यतः चार तरह का होता है: * भोगी पोंगल * सूर्य पोंगल * मट्टू पोंगल * कन्या पोंगल पोंगल पर्व मुख्यत चार दिन मनाया जाता है।

यह चार पोंगल क्रमशः क्रमबद्ध रूप से मनाए जाते हैं। इस पर्व में पहले दिन भगवान इन्द्र की पूजा होती है और नाच-गान होता है। दूसरे दिन चावल उबाला जाता है और सूर्य भगवान की पूजा होती है। तीसरे दिन पशुओं का पूजन कर उनका आरती उतारी जाती है। चौथे दिन मुख्य त्यौहार मनया जाता है और भाइयों के लिए पूजा की जाती है। पोंगल के मुख्य आकर्षण (Main Attraction of Pongal): पोंगल दक्षिण भारत में बहुत ही जोर शोर से मनाया जाता है। इस दिन बैलों की लड़ाई होती है जो कि काफी प्रसिद्ध है। रात्रि के समय लोग सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और एक दूसरे को मंगलमय वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। इस पवित्र अवसर पर लोग फसल, जीवन में प्रकाश आदि के लिए भगवान सूर्यदेव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

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