हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार हमारा नववर्ष चैत्र नवरात्रि के साथ शुरू होता है, जिसे विभिन्न प्रदेशों में विभिन्न नाम से जाना जाता हैं। मां दुर्गा के इस पर्व पर नवरात्रि स्थापना के दिन घट स्थापना की जाती है और अगले नौ दिन मातारानी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हुए उन्हें भोग लगाया जाता है। इन दिनों में कन्याओं के दान का बहुत महत्व है जिससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।
वैसे तो जो लोग नवरात्र के व्रत रखते हैं वे इसके पूर्ण होने पर कन्याओं को भोजन कराते हैं। हिन्दू धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि कन्याओं को यदि नवरात्र के हर दिन के अनुसार दान दिया जाए तो उससे माता रानी प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद देती हैं। आज हम अपने पाठकों को इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि नवरात्रि के कौनसे दिन कन्याओं को क्या दान किया जाना चाहिए।
पहला दिन : – नवरात्रि के प्रथम दिन कन्याओं को सुगंधित और ताजा फूल भेंट में देना शुभ होता है। इसके साथ ही, कोई श्रृंगार सामग्री भी अवश्य दें। अगर आप मां सरस्वती को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सफेद पुष्प छोटी कन्याओं को दें। अगर धन संबंधी कार्यों में सफलता पाना चाहते हैं तो लाल पुष्प देकर किसी कन्या को खुश करें।
दूसरा दिन :- नवरात्रि के दूसरे दिन कन्याओं को फलों का दान करें। इसके बाद कन्याओं का पूजन करें। फलों का दान करने से व्यक्ति की स्वास्थ्य और धन संबंधी कामनाएँ पूर्ण होती हैं। फलों का दान देते वक्त इस बात का विशेष ध्यान रखें कि फल खट्टे नहीं होने चाहिए। इन फलों में आप संतरा, मौसमी को शामिल न करें, क्योंंकि यह खट्टे होते हैं। आप को फलों के दान में मीठे फल सेब, केला, चीकू, मतीरा, खरबूजा को शामिल करना चाहिए। यह सभी मीठे फल होते हैं।
तीसरा दिन :- नवरात्रि के तीसरे दिन कन्याओं को स्वादिष्ट मिठाई का दान करना चाहिए। वैसे आप घर में बनी खीर या हलवा कन्याओं को दें तो यह सबसे अच्छा रहेगा। आप चाहें तो इनके साथ केसरिया चावल भी उन्हें दे सकते हैं।
चौथा दिन :- नवरात्रि के चौथे दिन कन्याओं को वस्त्रों का दान करना चाहिए। आप अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार कन्याओं को वस्त्र उपहार में दे सकते हैं। यदि कन्या सलवार सूट, लहंगा चुन्नी पहनना पसन्द करती है तो उसे उसकी इच्छा अनुसार दान करें। साथ ही उन्हें बालों को बांधने के लिए रंग बिरंगे रिबन भी दे।
पाँचवाँ दिन :- नवरात्रि के पाँचवें दिन कन्याओं को पाँच प्रकार की श्रृंगार सामग्री देना शुभ होता है। बिंदिया, चूड़ी, मेहंदी, बालों के लिए क्लिप्स, सुगंधित साबुन, काजल इत्यादि चीजें दी जा सकती हैं। ऐसा करने पर देवी मां से सौभाग्य और संतान संबंधी सुख प्राप्त होता है।
छठा दिन व सातवां दिन :- नवरात्रि के छठे दिन छोटी-छोटी कन्याओं को खिलौने देने चाहिए। अपनी श्रद्धा के अनुसार खेल सामग्री का दान करें।नवरात्रि के सातवें दिन मां सरस्वती की कृपा पाने का दिन है। इस दिन कन्याओं को शिक्षण सामग्री का दान करना चाहिए। पेन, स्केच पेन, पेंसिल, कॉपी, ड्रॉइंग बुक्स, वाटर बॉटल, कलर बॉक्स आदि चीजें दान की जा सकती हैं।
आठवां दिन :- नवरात्रि के आठवें दिन आप स्वयं किसी कन्या का पूर्ण श्रृंगार करें और उसका पूजन करें। इस दिन कन्या के पैरों का पूजन दूध से करें। पैरों पर कुमकुम, चावल और पुष्प अर्पित करना चाहिए। कन्या को भोजन कराएं और सामथ्र्य के अनुसार कोई भी भेंट भी दें। कई लोग नवरात्र को अष्टमी का पूजन करते हैं। इस दिन पूजा करने के बाद कन्याओं को भोजन कराया जाता है। कन्याओं को भोजन विषम संख्या में कराना चाहिए। जैसे—1, 3, 5, 7, 9, 11 और इन कन्याओं के साथ एक बालक जिसे भैरू के रूप में पूजा जाता है, को भोजन कराया जाता है।
नवां दिन :- जहाँ कुछ लोग अष्टमी का पूजन करते हैं और अपने व्रत को छोड़ते हैं वहीं दूसरी ओर कई लोग नवरात्र पूरे होने पर अर्थात् नौ दिन पूरे होने पर रामनवमी की पूजा करते हुए अपने व्रत को खोलते हैं। इस दिन विधि विधान से माता रानी की पूजा अर्चना करने के बाद घर पर उसका भोग बनाया जाता है जिसमें खीर, हलवा, चने व पुडी बनाए जाते हैं जो कन्याओं को खिलाया जाता है। कन्याओं के पैरों में महावर और हाथों में मेहंदी लगाने से देवी पूजा पूर्ण होती है। पूर्ण पूजन के बाद कन्याओं को अंत में लाल चुनरी भेंट करें।