जाने कैसे बने डॉक्टर
डॉक्टर बनने के लिये यह देखा जाता है जातक की कुण्डली में उच्च शिक्षा के योग हो तथा इस पेशे के लिए आवश्यक ग्रह की अनुकूल स्थिति एवं दशा का साथ.
भाव विचार:
शिक्षा का भाव पंचम
कुण्डली के पंचम भाव को शि़क्षा का भाव कहा जाता है. किसी भी तकनीकी शिक्षा का आजीविका के रुप में परिवर्तित होना तभी संभव है जब पंचम भाव व पंचमेश का सीधा संबध दशम भाव या दशमेश से बन जाये. पंचम भाव एवं पंचमेश का शुभ स्थिति में होना जथक की उच्च शक्षा का परिचायक है
दशम भाव से कार्य विचार
पंचम भाव का दशम भाव , भावेशों से जितना अच्छा संबध होगा, आजीविका अवम शिखा का सम्बन्ध भी उतना ही मजबूत होगा . दोनों मे राशि परिवर्तन होना, दृष्टि संबध अथवा युति होना भी अच्छा समझा जाता है.
छ्ठे एवं बारहवे भावों का संबध
छटा भाव रोग का है तथा बारहवें घर को अस्पताल का घर कहा जाता है. अतः इन भाव का दशम भाव से जितना मजबूत सम्बन्ध होगा जातक की डॉक्टर बनने की संभावना उतनी ही प्रबल होगी . नवम घर से ख्याति देखी जाती . इन भावो के विश्लेषण करने से जातक की सफलता का अनुमान भी लगा सकते है .
ग्रह विचार:
गुरु :- चिकित्सक बनाने में गुरु विशेष स्थान रखते है. गुरु की अच्छी स्थिति से जातक उच्च शिक्षा था सफलता प्राप्त करता है. किसी भी जातक के एक सफल डॉक्टर बनने के लिये गुरु का प्रभाव लग्न/पंचम/दशम भाव तथा संबन्धित भावेशों पर जन्म कुण्डली में , नवाशं कुण्डली में तथा दशमाशं कुण्डली में होना चाहिए.
चन्द्रमा :- चिकित्सकों की कुण्डली में चन्द्रमा का भी विशेष स्थान होता है चंद्रमा दवाइयों का करक माना जाता है .चिकित्सक की कुण्डली में चन्द्र पर पाप प्रभाव या चन्द्र का संबध त्रिक भावों से होना सामान्य योग है.
मंगल :- स्वराशि या उच्च राशि का मंगल व्यक्ति में सर्जरी से संबन्धित चिकित्सक बनने की योग्यता आती है . मंगल साहस का कारक .
सिद्धार्थ गौतम
(ज्योतिष संपादक इंडिया हल्ला बोल)