होलिका दहन का समय निर्धारण :-
07 मार्च 2012, बुधवार को होलिका दहन किया जायेगा. प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भ्रद्रारहित काल में होलिका दहन किया जाता हैं. भद्रा के मुख का त्याग करके रात्रि काल में होली का दहन करना शुभफलदायक सिद्ध होता है. विधिपूर्वक पूजा करने के पश्चात होलिका दहन करें. ऐसी मान्यता है कि भद्रा समय में होलिका का दहन करने से क्षेत्र विशेष में अशुभ घटनाएं होने की सम्भावना बढ जाती है, इसलिये दहन करने से पूर्व भद्रा का विचार कर लेना चाहिए, 7 मार्च 2012 को भद्रा का प्रारम्भ 17:53 से 04:34 प्रातः तक रहेगी, अतः भद्रा के मुख का त्याग (05:73 से 10:30) के उपरांत होलिका का दहन किया जा सकता है.
होलिका पूजन विधि :-
ध्यान रहे होलिका दहन से पहले होली की पूजा की जाती है| जिस वक्त आप होली की पूजा कर रहे हों उस समय आपका मुख पूर्व या उतर दिशा की ओर होना चाहिए उसके पश्चात निम्न सामग्रियों का प्रयोग करना चाहिए|
एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड, साबुत हल्दी, गुलाल आदि का प्रयोग करना चाहिए| इसके अलावा नई फसल के धान्यों जैसे- पके चने की बालियां व गेंहूं की बालियां भी सामग्री के रुप में रखी जाती है| इसके बाद होलिका पर गोबर से बनी बढकुले की माला को होलीका पर डालते है.
होलिका दहन मुहुर्त समय में जल, मोली, फूल, गुलाल तथा गुड आदि से होलिका की पूजा करें. गोबर से बनाई एक माला अलग से घर लाकर सुरक्षित रख लें इसमें से एक माला शीतला माता के नाम की.
सिद्धार्थ गौतम
(ज्योतिष संपादक इंडिया हल्ला बोल)