वैष्णो माता की आरती

Vaishno-mata

आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना। भगवान को प्रसन्न करना। इसमें परमात्मा में लीन होकर भक्त अपने देव की सारी बलाए स्वयं पर ले लेता है और भगवान को स्वतन्त्र होने का अहसास कराता है।आरती को नीराजन भी कहा जाता है। नीराजन का अर्थ है विशेष रूप से प्रकाशित करना। जिसका अर्थ यही है कि देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर दें। व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। बिना मंत्र के किए गए पूजन में भी आरती कर लेने से पूर्णता आ जाती है। आरती पूरे घर को प्रकाशमान कर देती है, जिससे कई नकारात्मक शक्तियां घर से दूर हो जाती हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

वैष्णो माता की आरती

जय वैष्णव माता, मैया जय वैष्णव माता।

द्वार तुम्हारे जो भी आता, बिन माँगे सब कुछ पा जाता।। 
ऊँ जय वैष्णो माता। 

तू चाहे तो जीवन दे दे, चाहे पल मे खुशियां दे दे।
जन्म मरण हाथ तेरे है शक्ति माता ।। 
ऊँ जय वैष्णो माता।

जब जब जिसने तुझको पुकारा तूने दिया है बढ़ के सहारा 
भोले राही को मैया तेरा प्यार ही राह दिखाता।।
ऊँ जय वैष्णो माता। 

हर साल सहगल आता और तेरे गुण गाता।
ऊँ जय वैष्णव माता, मैया जय वैष्णव माता।।

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