आज मै नेहरु -गाँधी -परिवार की प्रेम कथा पर लिख रहा हुँ ….पार्ट-5

एडविना माउंटबेटन अजंता-एलोरा के गुफाचित्र देखने जाना चाहती थीं पर जवाहरलाल नेहरू के साथ वहां की यात्रा का संयोग नहीं बना। यही कोणार्क के सूर्य मंदिर की यात्रा के साथ हुआ। आजादी के बाद नेहरू कोणार्क गए और मंदिरों का बाहरी भित्तिशिल्प देखने के बाद उन्होंने चित्रों की एक पुस्तिका भेजते हुए लंदन लौट चुकी एडविना को लिखा कि शर्म का परदा हमारी आंखों पर है। ”इन प्रतिमाओं में कितना खुलापन है, जैसे उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं हो।एडविना का जवाब था कि कोणार्क की प्रतिमाएं बहुत सुंदर हैं पर, ”केवल शारीरिक संबंध में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि उसमें और भी कुछ हो। वैसे इस तरह की सोच के मामले में हम दोनों अकेले पड़ जाएंगे।नेहरू और एडविना कितने निकट थे इसका अनुमान उनके पत्रों से आसानी से हो जाता है। पर मशोबरा के स्पर्श सुख के अलावा एक और घटना से पता चलता है कि यह निकटता मानसिक से कुछ अधिक थी। नेहरू की नैनीताल यात्रा के दौरान एडविना उनके साथ थीं। एक शाम गवर्नर ने दोनों को रात्रिभोज पर आमंत्रित करने के लिए अपने बेटे को भेजा। उसने अचानक कमरे का दरवाजा खोला तो दोनों को आलिंगनबद्ध पाया। घबराकर उसने दरवाजा बंद कर दिया और बिना कुछ कहे लौट आया। एडविना ने अपनी डायरी में लिखा, ”मैं जवाहर को बहुत चाहने लगी हूं। इस टिप्पणी से अनजान नेहरू ने कहा, ”उसके जाने पर मुङो बहुत खालीपन महसूस होता है। माउंटबेटन के लिए तो जैसे एडविना के इस प्रेम प्रसंग में कुछ भी नया नहीं था। एडविना के प्रेम के किस्से अनगिनत थे और माउंटबेटन ने इन पर कभी आपत्ति नहीं की। अमेरिकी अभिनेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता पॉल राब्सन और गायक लेस्ली हचिंसन एडविना के प्रेमियों में थे। राब्सन के साथ प्रेम का किस्सा तो अदालत तक गया। मिल्फर्ड हैविन के साथ भी एडविना का ‘गंभीर रिश्ता था और हेरल्ड बनी फिलिप्स के साथ तो बात विवाह तक पहुंच गई थी। बनी के किस्सों के बीच माउंटबेटन को दिल्ली आना पड़ा। दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने एडविना को एक पत्र लिखकर कहा, ”मुझे तुम्हारी खुशी चाहिए। अगर तुम बनी से विवाह करना चाहती हो तो मैं रास्ते का रोड़ा नहीं बनूंगा। माउंटबेटन की सोच पर एडविना के प्रेम प्रसंगों का गहरा असर था जो उनकी नीतियों में भी दिखाई पड़ने लगा। उदाहरण के लिए, माउंटबेटन ने गवर्नर और राजदूतों की नियुक्ति के संबंध में सुझाव दिया कि अगर दो उम्मीदवार हों तो गवर्नर का पद उसे देना चाहिए जिसकी पत्नी ”सुंदर और कल्याण कार्यो में सक्रिय तथा सक्षम हो। दूसरे को राजदूत बनाया जा सकता है। डिकी का मानना था,”पत्नी के गुण उसके पति के गुणों की तरह ही महत्वपूर्ण हैं।

 

मुकेश वाहने

बालाघाट, म.प्र.

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