आर. टी. आई. एक्ट सूचना का अधिकार या सजा-ए-मौत !

भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए आर. टी. आई. 2005  जैसा कानून तो बनाया गया है लेकिन इस कानून में दोषी को सजा देने का प्रावधान नहीं बनाया गया है । दोषी अभियुक्त राज्य सूचना आयोग को जुर्माना देकर छूट जाता है । इस कानून में सजा का भी प्रावधान होना चाहिए और आर. टी. आई. देने वालो को सुरक्षा भी प्रदान करनी चाहिए। जिससे आरोपी आर. टी. आई. देने वाले को परेशान नहीं कर सके और उसे जान माल की हानि ना पहुँचा सके । वर्ष 2009  से 2011 अगस्त तक बहुत से आर. टी. आई. कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है जिनमे से अमित जेठवा गुजरात, दत्तात्रेय पाटिल (किसान) महाराष्ट्र, अरुण सावंत बदलापुर महाराष्ट्र, सतीश शेट्टी पुणे महाराष्ट्र, विश्राम लक्ष्मण दोडिया अहमदाबाद, शशिधर मिश्रा (स्ट्रीट वेंडोर) बेगुसराय बिहार, रामदास घाड़ेगौकर नांदेड महाराष्ट्र, सोलारंगा राव जिला कृष्णा आंध्र प्रदेश, इरफ़ान युसूफ क़ाज़ी जैतपुर महाराष्ट्र एवं हाल ही में शाहेला मसूद भोपाल हैं। इस पर कार्यवाही जल्द से जल्द क्यों नहीं हो रही ??  इससे यह सिद्ध होता है कि भ्रष्टाचारी और कानून का उलहंघन करने वालो को सरकार इनाम दे और जो भ्रष्टाचार पकड्वाये उसको सजा-ए-मौत!! मै माननीय प्रधानमंत्री महोदय से अपील करता हूँ कि आर. टी. आई. कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का भी सूचना के अधिकार कानून 2005 में ध्यान रखा जाए ताकि भविष्य में आर. टी. आई. कार्यकर्ताओं की हत्याएं न हो।

 

अभिषेक मलेटी कोटा राजस्थान

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