अस्पताल का बिल चुकाने में असमर्थ मजदूर हसमुख की पत्नी नर्मदा परमार की मृत्यु अस्पताल के डॉक्टर द्वारा लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा देने से हुई थी. अब हसमुख ने भी खुदखुशी कर ली है. हसमुख ने अपनी आत्महत्या के पीछे गुजरात के वी एस. अस्पताल के डॉक्टर को जिम्मेदार ठहराया है.
“हसमुख से मिला आखरी पत्र”
पहला खत: मेरी आत्महत्या के पीछे मेरे माता पिता का कोई लेना देना नहीं है. मेरे माता पिता ने मुझे खूब खुश रखा. मेरे माता पिता गरीब है. इसलिए सरकार उनको परेशान न करे ऐसी विनती है.
दूसरा खत – गुजरात राज्य के मुख्य मंत्री मोदी नरेन्द्र साहब
मेरी पत्नी वी. एस अस्पताल के डॉक्टर की बेदारकारी के कारन मर गई है. अब में भी आत्महत्या कर रहा हूं. जोकि हमने पुलिस फरियाद और मीडिया को जानकरी देने के बावजूद डॉक्टर ने मेरी पत्नि को मार डाला. मेरी आत्महत्या के पीछे का कारन मुझे न्याय नहीं मिलने से और ऐसे डोक्टर को सस्पेंड करा 5 के साल की सजा कराना था .. जो की इसमें से कुछ नहीं होने से में आत्महत्या कर रहा हूं. जिसकी जिम्मेदारी इस अस्पताल की है. मै मेरी पत्नि को दी गई महंगी दवाओ के साथ आत्महत्या कर रह हूँ. मेरी पत्नी को न्याय मिले ऐसी अर्जी कर रहा हूं .. गुजरात की प्रजा मेरी पत्नी की मौत के साथ है.
परिवार का आरोप है कि बिल न दे सकने पर मरीज का लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाया “
हमारे देश में डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है, लेकिन पैसे के चकाचोंध ने डॉक्टर को भी भगवान से हैवान बना दिया है .. वाकया दरअसल अहमदाबाद के बनाम. अस्पताल का है. जहां महिला मरीज की मृत्यु पर महिला के संबंधियों ने डॉक्टर से मारपीट की. मृत महिला के परिवारजनों का आरोप है कि यहाँ के डॉक्टर 23 ने की नर्मदा परमार का लाइफ सपोर्ट सिस्टम इसलिए हटा दिया क्योकि वह अस्पताल 35000 का का बिल चुकाने सभी असमर्थ थे.
मृत महिला के पति हसमुख भाई का कहना है कि अस्पताल ने 35000 उनको रुपए का बिल सौपा, जबकि उनके पास पहले से ही “ममता कार्ड” था, जो की गरीब परिवार को मुफ्त सभी सारकार दवा कराने का अधिकार देती है. हसमुख का कहना है कि डॉक्टर ने उनको कहा की अगर वह ये बिल नहीं देंगे तो उनकी पत्नि का लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा दिया जायेगा.
उधर अस्पताल और नगर पालिका के अधिकारिओ का कहना है कि उन पर लगाये गए आरोप बेबुनियाद और गलत है. अधिकारियो का कहना है की जब नर्मदा को यहाँ लाया गया तब 9 वह महीने से गर्भवती थी और उसके कोख सभी ही उसकी बच्ची की मृत्यु हो चुकी थी. वह सेप्तेसेमिया, ब्रेन डेमेग और ब्लड क्लोटिंग से जुझ रही थी .. उसकी मृत्यु इस कोम्प्लिकेसन की वजह से हूई है. अधिकारियो का कहना है कि बिल नहीं देने के लिए अस्पताल पर झूठा आरोप लगाया गया है.
इधर शहर के मेयर श्री असित वोरा का कहना है की हमने प्रारंभिक जाँच पड़ताल करवाई है और उसमे पता चला है की उस महिला की मृत्यु वेंटीलेटर हटाने से पहले ही हो चुकी थी. श्री वोरक कहना है की बिल नहीं देने के लिए परिवार ने इस मुद्दे को उछाला है. किसी डॉक्टर को उसके सीनियर डॉक्टर की अनुमति के बिना लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने का अधिकार नहीं है. और इस केस में ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई थी.
ऐसे में हम यही कहेंगे की किसी की जान से कीमती और कुछ भी नहीं है और अगर ऐसे में किसी को अपनी जान सिर्फ इसलिए गवानी पड़े क्योकि उसके पास बिल चुकाने के पेसे नहीं है तो, यह बहुत ही शर्मनाक बात है. हमारे देश के लिए, जिसमे अरबपतियो की संख्या हर साल बढ़ रही है. हमारी सरकार से भी अनुरोध है की वह सिर्फ गरीबो के लिए योजनाये ही न बनाये बल्कि उसके पालन पर भी सख्ती बरते जिससे देश की जनता गरिमा पर कोई आंच ना आये.
दीपक पद्मशाली
इंडिया हल्लाबोल
गुजरात