ये आतंकवाद कर देगा भारत के अस्तित्व को खत्म!
पूज्य श्री देवकींनदन ठाकुर जी महाराज यूएसए और कनाडा में दो माह तक विश्व शांति सन्देश देकर भारत लौटे। इस मौके पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराज श्री ने पहली बार सबका ध्यान “कल्चर टेररिज्म” की ओर खींचा।
कल्चर टेररिज्म (सांस्कृतिक आंतकवाद) पर विचार व्यक्त करते हुये पूज्य महाराज श्री ने कहा कि भारतीय सभ्यता पर लगातार हमला किया जा रहा है। विदेशी शक्तियों ने पहले भारतीय शिक्षा पद्वती को तहस-नहस कर अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार प्रसार किया और अब हमारी संस्कृति पर हमला किया जा रहा है।
भारत देश एक सभ्य साधु परिवार है, न किसी से ईर्ष्या न किसी से द्वेष, न किसी से लड़ाई न किसी से बैर, वसुधैव कुटुम्बकम की सोच वाले भारत देश पर कई धर्मों को मानने वाले, भिन्न-भिन्न रीति रिवाजों को मानने वाले, भिन्न-भिन्न समाज के लोगों ने आक्रमण किये या भारत देश में आ कर बसे और हमारे भाग्य विधाता बन बैठे।
उसके बाद हमारे धर्म और हमारे रहन-सहन पर छींटाकशी करने लगे, हमें अपनी तरह बनाने की कोशिशों में लग गए। तुम्हारे धर्म में तो बहुत कुरीतियाँ हैं, तुम लोगों को ठीक से रहना नहीं आता, तुम लोग जीवन मे आगे नहीं बढ़ना चाह्ते वगैरह-वगैरह। उन लोगों ने अपने अपने धर्मों का अपने-अपने रहन-सहन का डंका ज़ोर-जोर से बजाना शुरू कर दिंया, वो हम पर राज जो कर रहे थे। अपने भगवान को मानते, अपने इष्ट को मानते, अपने धर्म कर्म ढोंग नहीं लगते पर हमारे धर्म को ढोंग कहते, ऐसे में बहुत से लोग उनके झांसे में आ गए और अपने संस्कार छोड़ उनके पीछे लग गए। इसे कल्चरल टेररिज्म कहा जा सकता है।
कोई किसी पर आक्रमण क्यों करता है उसके रीती-रिवाजों को अपनाने के लिए? उनके धर्म को अपनाने के लिए? नहीं, किसी पर आक्रमण वो करता है जो संतुष्ट नहीं होता, जिसकी प्रवृत्ति लड़ाई करने की हो, जो दूसरों के धर्मों को नीचा और अपने धर्म को ऊंचा समझता हो, जिसको मार काट या आक्रमण से फायदा हो, वो करता है किसी पर आक्रमण और बिना आक्रमण कर किसी देश को ख़त्म करना है तो उस देश की संस्कृति को नष्ट कर दो। ये “कल्चरल टेररिज्म” है।
लार्ड मैकॉले 1834 में भारत आया और पूरे भारत देश का भ्रमण किया और उसके बाद लार्ड मैकॉले ने ये शब्द कहे थे।
“मैं भारत में काफी घूमा हूँ। दाएं- बाएं, इधर उधर मैंने यह देश छान मारा और मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया, जो भिखारी हो, जो चोर हो। इस देश में मैंने इतनी धन दौलत देखी है, इतने ऊंचे चारित्रिक आदर्श और इतने गुणवान मनुष्य देखे हैं की मैं नहीं समझता की हम कभी भी इस देश को जीत पाएंगे। जब तक इसकी रीढ़ की हड्डी को नहीं तोड़ देते जो इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत है और इसलिए मैं ये प्रस्ताव रखता हूँ की हम इसकी पौराणिक और पुरातन शिक्षा व्यवस्था, उसकी संस्कृति को बदल डालें, क्यूंकी अगर भारतीय सोचने लग गए की जो भी विदेशी और अंग्रेजी है वह अच्छा है और उनकी अपनी चीजों से बेहतर हैं, तो वे अपने आत्मगौरव, आत्म सम्मान और अपनी ही संस्कृति को भुलाने लगेंगे और वैसे बन जाएंगे जैसा हम चाहते हैं। एक पूर्ण रूप से गुलाम भारत।”
ये होता है “कल्चरल टेररिज्म”। किसी देश की संस्कृति को नष्ट कर दो बस, देश ख़त्म हो जायेगा।
नासा हमसे ज्ञान ले रहा है और हम नासा के पीछे भाग रहे हैं। नासा ने संस्कृत को कंप्यूटर प्रोसेसिंग के लिए सबसे उत्तम भाषा माना है। हमसे सब अच्छी बातें ले रहे हैं और हम उनके जैसे बनना चाहते हैं।
मार्स की 1659 में, यूरेनस की 1781 में, नेप्ट्यून की 1846 में तो प्लूटो की 1930 में खोज की गयी। हम तो सदियों से नवग्रहों को मानते आ रहे हैं, उनकी पूजा करते आ रहे हैं।
महाराज श्री ने कहा कि षड़यंत्र के तहत पहले भारत से गुरूकुल समाप्त किये गये, संस्कृत हटाकर संस्कृति का हा्स किया और अब हिन्दी भी दूर की जा रही है। सरकार को सुझाव देते हुये उन्होनें कहा कि आज स्कूलों में विद्यार्थियों को गीता और संस्कृत का ज्ञान देने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट जल्द ही इस दिशा में कार्य का बीड़ा उठायगा। महाराज श्री ने प्राचीन गुरूकुलों की स्थापना की आवश्यकता बतायी। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा सरकार से भी आग्रह किया है की सनातन धर्म पर हो रहे अटैक पर जल्द से जल्द सरकार कोई निर्णय लें नहीं तो ये धर्म और देश अपना अस्तित्व खो देगा।
इस अवसर पर मंहत श्री रामस्वरूप दास ब्रहमचारी जी महाराज ने अपने विचार प्रकट करते हुये कहा कि भारत भूमि सम्पूर्ण विश्व को शांति का संदेश देती आयी है। आज कल्चर टेररिज्म से भारतीय संस्कृति को नुकसान पहुॅंचाया जा रहा है यह चिंता का विषय है। इसके पश्चात आचार्य श्रीबद्रीश जी, मंहत श्री रामस्वरूप दास ब्रहमचारी जी, मंहत स्वामी रघुनाथ दास जी, महंत श्री हरिबोल बाबा जी, मंहत डा. आदित्यानंद जी, स्वामी देवस्वरूप ब्रहमचारी जी एवं श्री सौरभ गोड़ आदि प्रमुख वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये तथा महाराज श्री को पुष्पगुच्छ भेंट कर बधाई दी।
इससे पूर्व पूज्य महाराज श्री ने वृन्दावन पहुँच कर सर्वप्रथम भगवान प्रियकांत जू जी के दर्शन किये एवं अपने माता पिता के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के सचिव श्री विजय शर्मा जी ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर एच.पी. अग्रवाल, रवि रावत, आचार्य श्यामसुन्दर शर्मा, इंद्रेश शरण, जगदीश वर्मा, गजेन्द्र सिंह, विष्णु शर्मा और ABC WORLD MEDIA से रणजोत सिंह, नीरज शर्मा, अजय भाटीवाल एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिष्य उपस्थित थे।