इतिहास गवाह है कि महात्मा गाँधी ,सुभाषचंद्र बोस,सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, लाला लाजपत राय, रामप्रसाद बिस्मिल, भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव सरीखे देशभक्तों ने एक पूर्णतया आजाद भारत का सपना देखा और अंग्रेजों की गुलामी को नकारते हुए संघर्ष किया तथा शहादत दी। पूर्णतया आजाद भारत का मतलब एक ऐसा भारत जिसमें सभी समान हों। किसी भी तरह का भेदभाव न हो। न पूंजीवाद हो, न समाजवाद। न दासप्रथा हो,न सामंतवाद। न अमीरी गरीबी का भेद हो, न जात धर्म का। न भ्रष्टाचार हो,न स्वार्थ की भावना हो। हो तो बस एकजुटता,जनकल्याण, प्यार और मेलमिलाप। ऐसे स्वच्छ भारत का सपना देखा था भारतमां के उन वीरों ने। पर अफसोस कि आजादी के 64 साल बीत जाने के बाद भी उन क्रांतिकारी शहीदों का सपना पूरा न हो सका है।
अब से 64 साल पहले भारत देश अंग्रेजों का गुलाम था। देश की जनता तिल-तिल मर रही थी। न तो खाने को रोटी मिलती थी,न पहनने को कपड़ा। मिलता था तो बस कोड़े और दुत्कार। उस समय भारतीय समाज ग्रामीण परिवेश का था। न उद्योग थे, न फै क्ट्रियां,न प्रशासन व्यवस्था थी,न शिक्षा की व्यवस्था। था तो बस गरीबी,भूखमरी,बेकारी,अराजकता और अव्यवस्था। खेती कर लोग गुजारा करते थे वो भी अंग्रेजों द्वारा लूट लिया जाता था। न मां,बहनें सुरक्षित थी,न लोगों की जिंदगी। वहीं कुछ नौजवान ऐसे थे जिनके मन में अंग्रेजों की मनमानी और अत्याचार का बदला लेने की आग ज्वालामुखी की तरह सुलग रही थी और एक दिन यह ज्वालामुखी क्रांतिकारियों के रूप में फूट पड़ा। फि र शुरू हुई गुलामी से मुक्ति पाने की कोशिश। समाजसेवियों और क्रांतिकारियों ने आंदोलन शुरू किये। अंग्रेजों का विरोध करने का दौर शुरू हुआ। देखते-देखते पूरा देश स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ा। पता नहीं कितने वीर जवानों ने अपनी शहादत दी। पता नहीं कितनी मांओं ने अपने बेटे,बहनों ने अपने भाई,पत्नियों ने अपने सुहाग,बच्चों ने अपने मां बाप देश के लिए न्यौछावर कर दिये। परिणामस्वरूप कई सौ सालों की गुलामी के बाद देश आजाद हुआ। दुनिया भर में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अमरगाथा प्रचलित हो गई।
इसी के साथ शुरू हुआ एक नवीन भारत निर्मित करने का दौर। भारत विकास की कहानियां लिखी जाने लगी। लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाते हुए देश में राजनीतिक व्यवस्था स्थापित की गई। समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों को देश की चरमराई हुई व्यवस्था को सुधारने का जिम्मा सौंपा गया। संविधान का निर्माण किया गया। जनता को कुछ अधिकार व स्वतंत्रतायें सौंपी गई। नये-नये उद्योग धंधे शुरू कर लोगों के लिए खेतीबाड़ी से अलग रोजगारों की व्यवस्था की गई। कृ षि विकास की ओर भी समुचित ध्यान दिया गया। अंग्रेजों द्वारा गुलामी के दौर में किया गया एकमात्र अच्छा काम शिक्षा की व्यवस्था की दिशा में नये-नये आयाम स्थापित किये गये। सरकारी स्कूल स्थापित किये गये। पंचवर्षीय योजनायें बनाई गई। बजट के तहत विकास कार्यों हेतु अनुदार देने की व्यवस्था भी शुरू की गई। जैसे-जैसे समय बीता देश के हर क्षेत्र का विकास हुआ। साथ ही तकनीकी,औद्योगिक व विज्ञान के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व प्रगति हुई।
आज हमारा भारत देश विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है। सवा करोड़ की जनसंख्या के साथ हम विश्व में दूसरे नम्बर पर हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भी हम प्रसिद्ध हैं। वास्तव में आज का भारत सोने की चिडिय़ा तो नहीं है, न ही अब इसे हम विकासशील कह सकते हैं बल्कि आज भारत देश काफी हद तक विकसित हो चुका है और विकसित देशों की कगार में खड़ा होने को तैयार है। क्योंकि टाटा रत्न और रिलायंस जैसी नामीगिरामी कंपनियां देश की अर्थव्यवस्था के विकास में सहयोग कर रही हैं। लोहा,इस्पात,कपड़ा,स्टील जैसे उद्योग यहाँ स्थापित हो चुके हैं। देश भर में सडक़ों,रेलों का जाल बिछाया जा चुका है। अब तो मैट्रो का जाल बिछाया जा रहा है। समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर स्थित इलाको को भी सडक़ों व रेलों से जोडऩे में भारत ने सफ लता हासिल की है। देश भर में हवाई व्यवस्था कार्यशील है। बड़े-बड़े विश्वविद्यालय,तकनीकी व प्रबंधन संस्थान शिक्षा विस्तार में सहयोग कर रही हैं। प्राइमरी स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक के क्षेत्र में भारत ने काफी उन्नति कर ली है। आज हमारे युवा देश की कई मल्टीनेशनल कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं। विदेशों में भी भारतीय शिक्षा व्यवस्था की धूम मची हुई है। लगभग पूरे देश का विद्युतीकरण हो चुका है। तकनीकी के क्षेत्र में भी हम काफी आगे निकल चुके हैं। मोबाइल,इंटरनेट,टूजी,थ्रीजी सुविधायें देश की जनता के हाथ में है। सूचना प्रोद्यौगिकी का इतना विस्तार हो चुका है कि लोगों के बीच की दूरी कम हो गई है। कुछ ही मिनटों में एक सूचना देश भर में फै ल जाती है। और तो और ग्रामीण इलाकों का शहरीकरण हो गया है। लोग गांव छोडक़र शहरों की तरफ दौड़ रहे हैं। पश्चिमीकरण के कारण लोगों का रहन-सहन,आचार-विचार,पहनावा,व्यवहार सबकुछ बदल गया है। अगर इन सब पहलुओं पर विचार किया जाये तो आज का भारत 64 साल पहले के भारत से कहीं ज्यादा व्यवस्थित व विकसित है। लेकिन यह वो भारत नहीं है जिसका सपना क्रांतिकारी शहीदों ने देखा था। क्योंकि इन 64 सालों में पूरा देश कई वर्गों में बंट चुका है।
आज देश में जातिवाद है,धर्मवाद है,सम्प्रदायवाद है,अमीरी गरीबी का भेद है। भ्रष्टाचार,रिश्वतखोरी,स्वार्थ का बोलबाला है। गरीबी,भूखमरी,बेरोजगारी अपने चरम पर है। स्वार्थ की और अपराधियों की राजनीति देश में की जाती है। अगर विस्तार से बात की जाये तो आज का तकनीकी व औद्योगिक रूप से विकसित भारत कहीं न कहीं अव्यवस्थित है। न तो भूखमरी से आजादी मिली,न बीमारियों से। शिक्षित बेरोजेगारी ने पांव पसारे हुए हैं। निरक्षरता भी है आज के भारत में। क्योंकि ग्रामीण लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं है। शिक्षालयों तक उनकी पहुंच नहीं है। जहां पहुंच है वहां के हालात अच्छे नहीं हैं। कहीं स्कूल नहीं तो कहीं इमारत नहीं। कहीं आधारभूत सुविधायें नहीं तो कहीं शिक्षक नहीं। नौकरियों तक भी उनकी पहुंच है जो निजी स्कूलों में पढ़ते हैं या जिनके पास पैसा और सिफ ारिश है। क्योंकि सरकारी स्कूली शिक्षा और व्यवस्था तो बदहाली के कगार पर है। ऐसे में उनसे एक विकासशील शिक्षा की उम्मीद करना बेकार है। सरकार की ओर से शिक्षा के अधिकार के तहत 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए मुफत शिक्षा की व्यवस्था की गई है,बावजूद इसके आज भी दो करोड़ बच्चों की स्कूलों तक पहुंच नहीं है। प्रशासनिक और सरकारी व्यवस्था इतनी भ्रष्ट हो चुकी है कि कोई भी काम पैसा लिये बगैर नहीं होता।
स्वास्थ्य की बात करें तो ग्रामीण इलाकों में आज भी बीमारियों ने डेरा डाला हुआ है। क्योंकि एक तो जागरूकता का अभाव है दूसरे चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। कही पर अस्पताल नहीं तो कहीं पर डॉक्टर नहीं। क्योंकि आज का आधुनिक युवा लाखों रूपये खर्च कर डॉक्टर बनकर गांवों में नहीं जाना चाहता है। देश के कई राज्यों में आज भी बिजली की पहुंच नहीं है। अकेले यूपी में सवा लाख लोग अंधेरे में जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं और कहने को देश में आज बड़े-बड़े बिजली संयंत्र बिजली पैदा कर रहे हैं और कई संयंत्र स्थापित किये जा रहे हैं। फि र भी बिजली की कमी हैं। देश की जनता को सरकार की और से सूचना प्राप्ति का अधिकार भी दिया गया हैं। पर सुनने वाला कोई नहीं और बोलने पर सजा भुगतनी पड़ती है। राजनीति में तथा पंचायतों में महिलाओं को भी भागीदार बनाया गया है। लेकिन ज्यादातर महिलाओं की सरपंची का उनके पतियों द्वारा दुरूपयोग किया जाता है। जबकि आज की भारतीय महिलायें विश्व स्तर पर पुरूषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं। अपने हौसले और लगन का लोहा मनवा रही हैं। लेकिन पश्चिमीकरण के कारण मानवीय सोच की संकीर्णता भी बढ़ गई है। क्योंकि आज भी देश के कुछ हिस्सों में महिलाओं का शोषण किया जाता है। आज भी समाज में बाल विवाह,दहेज प्रथा,बालश्रम,कन्याभ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराइयां पाई जाती हैं। ऑनर किलिंग की समस्या ने अपराध की गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। महिलाओं के प्रति बलात्कार,अपहरण,हत्या जैसी प्रवृतियों को भी बढ़ावा मिला है। शिक्षा के अभाव में लोग आज भी अंधविश्वास के शिकार हैं। इनकी रोकथाम के लिए सरकार द्वारा कई कानून भी बनाये गये हैं। लेकिन नाम के क्योंकि न तो उन्हें पूरी तरह लागू किया जाता है, न ही लोगों को उनके बारे में जागरूक किया जाता है। परिणामस्वरूप लोग उनका पालन नहीं करते हैं। पुलिस और न्याय व्यवस्था की हालत खराब है। कई मामलों में तो पुलिस वाले ही अपराधियों की कगार में खड़े हो जाते हैं।
अभी कुछ समय पहले कई मामले ऐसे हुए हैं जिनमें पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगे हैं। न्याय व्यवस्था इतनी बदहाल है कि कई-कई सालों तक केस चलते रहते हैं। लोग न्याय के लिए भटकते रहते हैं। एक केस का फैसला नहीं होता दूसरा केस तैयार हो जाता है। भ्रष्टाचार के मामले में भी पिछले कुछ समय में कई न्यायाधीशों पर आरोप लगे हैं। राजनीति अपराधियों और स्वार्थियों की राजनीति बन चुकी है। एक तरफ गुटबंदी की राजनीति,दूसरी तरफ भ्रष्ट और अपराधिक प्रवृति के राजनेता और प्रशासनिक अधिकारी। जो सरकार का पैसा अंदर करने का मौका नहीं चूकते। यहां तक कि क ई राजनेताओं और अधिकारियों पर बलात्कार,दुष्कर्म,हत्या और अपहरण जैसे संगीन मामलों के आरोप लग चुके हैं। कोई जेल में सजा काट रहा है तो कोई अदालतों में पेशियां लगा रहा है। बावजूद इसके वे भारत देश की लोकतांत्रिक सरकार का हिस्सा हैं। जेल में रहते हुए भी संसद के अधिवेशनों में वे भाग लेते हैं। रिश्वत लिये बिना ये मंत्री और राजनेता कोई काम नहीं करते। विकास के नाम पर झूठे दावे कर वोट हासिल करते हैं। लाखों,अरबों रूपया देश के पास है फि र भी देश की जनता गरीबी,भूखमरी और बेरोजगारी की शिकार है। क्या ऐसे बदहाल स्वतंत्र भारत का सपना स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था। नहीं यह उनके सपनों का भारत नहीं है। उनका सपना तो पूरा हो ही नहीं सका। इसके जिम्मेवार भी हम ही हैं। आज का भारत तकनीकी,औद्योगिकि व आधुनिक रूप से विकसित तो है लेकिन आज भी देश में असमानतायें और अव्यवस्थायें हैं। आज भी देश पिछड़ा हुआ है। विकास तो केवल उच्च वर्ग तक ही दिखाई देता है। बाकी की जनता तो आज भी बेहाली का दंश झेल रही है।
इंडिया हल्ला बोल