अपनी प्राथमिक कक्षा की परीक्षाओं में हम सबने गाय पर निबंध लिखे हैं. इधर, तारीखें बदल गई हैं, मौसम बदल गए हैं, तो गाय भी बदल गई है और गाय पर निबंध भी.
यह है प्राथमिक कक्षा के एक विद्यार्थी द्वारा गाय पर लिखा गया ताजा, अत्याधुनिक निबंध
गाय एक चौपाया जानवर है जो भारत की सड़कों पर रहती है. वह भयंकर भीड़ भरी सड़कों के बीच भी बेखौफ होकर चलती है, और बहुधा वहीं बैठकर पगुराती यानी आराम भी फरमाती है. हम सब उसकी बहुत इज्जत करते हैं क्योंकि वह हमारे लिए मां के समान है और हम सब उसे इज्जत देकर उसके आजू बाजू से निकल जाते हैं. गाय हमारे लिए श्रद्धेय है इसीलिए सड़क पर पहला अधिकार उसका ही होता है. ट्रैफिक पुलिस वाला भी गाय को सड़क से नहीं हटाता. गाय का मुख्य भोजन प्लास्टिक, कचरा आदि है, और इसीलिए वह अधिकतर नगर निगम के कचरा पेटी के आसपास घूमती रहती है. आजकल गाय को चारा नहीं मिलता क्योंकि मवेशियों का चारा अब राजनीतिज्ञों और अफसरों के खाने के काम में आता है. गाय सब्जी बाजार में फेंके गए सड़े गले फल सब्जी भी खाती है और इस तरह सड़ा गला कचरा साफ कर वह मानव जाति का बहुत कल्याण करती है. वैसे भी आजकल भारत में स्वच्छता अभियान पर जोर है, जिसमें गाय का बहुत महत्व है. गाय न हो तो भारत स्वच्छ भी न हो.
गाय का वैज्ञानिक महत्व भी है. हाल ही में एक बड़े नेता ने खुलासा किया कि गाय के गोबर में परमाणु बम के प्रभाव को भी निष्क्रिय करने की ताकत होती है. यह सत्य भी है क्योंकि आधुनिक गाय प्लास्टिक की थैलियाँ ज्यादा खाती है, जो कि वैसे भी नॉन-डिस्ट्रेक्टिबल होते हैं, तो उसे परमाणु बम भी कैसे मिटा सकेगा. वैसे, बहुत लोगों के अनुसार गाय का मूत्र सामने वाले की हर बीमारी – सर्दी से लेकर कैंसर तक का इलाज करने की क्षमता रखता है.
भारत में गाय और भी बहुत काम आती है. न्यायालय में गाय पर कई तरह के पीआईएल लगाए जाते हैं. गाय न होती तो कई एनजीओ, पीआईएल कार्यकर्ता निठल्ले बैठे रहते, न्यायालयों में काम की कमी हो जाती – कई वकील भूखे मर जाते. गोमांस खाने पर बैन उसी राज्य की न्यायालय लगाती है जिस राज्य में सबसे ज्यादा कत्लखाने होते हैं, और जहाँ से सबसे ज्यादा गोमांस निर्यात होता है. भारत की राजनीति में गाय का तो और भी ज्यादा महत्व है. गाय ने न केवल कई नेताओं को विधान-सभा, राज्य-सभा, लोक-सभा की सीटें दिलवाई है, बल्कि कई लोगों को मंत्री पद भी दिलवाया है. इस मामले में गाय बहुत पावर फुल है. वैसे, कभी-कभी गाय ने किसी मंत्री का पद भी लिया है. राजनीति में बहुत आगे जाने की ख्वाहिश रखने वाले अधिकांश लोग अब गाय की सवारी करने लगे हैं.
धार्मिक कार्यों में भी गाय का बहुत महत्व है. प्रेमचंद का गोदान गवाह है कि गाय ने पंडितों के पोंगा कर्मकांडो को बहुत आश्रय दिया है. तमाम टीवी चैनलों में आने वाले बाबा अपने प्रवचनों में गाय के गुण गा-गा कर अपनी टीआरपी और इस तरह अपने को प्राप्त होने वाली दक्षिणा बढ़ाते रहते हैं. ऐसे लोगों के लिए गाय का और अधिक महत्व है. वस्तुतः यदि गाय न होती तो भारत में कोई पंडित, कोई सन्यासी नहीं होता. भारत की धार्मिकता को पैदा करने, बनाए रखने और बढ़ाने में एक किसी वस्तु का नाम लेने कहा जाए तो वह गाय ही होगी.
भारत में गाय को नित्य ऑक्सीटोसिन का इंजैक्शन लगा कर धीमी, पीड़ादायक मौत देने में लोगों को कोई हर्ज नहीं होता है मगर यहाँ गाय को सीधा नहीं मारा जा सकता जबकि पूरे विश्व में गोमांस निर्यात करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश भारत है. यहाँ खुले आम गोमांस खाया नहीं जा सकता है. अलबत्ता आप बड़े 3-5-7 सितारा होटल में आराम से और बेखटके गोमांस ऑर्डर कर खा सकते हैं. ऑक्सीटोसिन के इंजैक्शन से प्राप्त किए गए रक्त-कण मिश्रित गाय के दूध को हम गर्व से और शौक से पीते हैं और यह अधिक महंगा भी मिलता है. मगर यहाँ एनीमल प्रोटीन का सस्ता सुलभ स्रोत गौमांस खाना अच्छा नहीं माना जाता, और अपने घरों में गौमांस खाने वालों को भीड़ पीट-पीट कर मार भी सकती है.
वैसे, गाय बहुत ही शांत और अहिंसा प्रेमी जानवर है, मगर इस पर निबंध लिखना भी आजकल खतरे से खाली नहीं है. गाय के कारण भाई, भाई नहीं रहते, दोस्त, दोस्त नहीं रह पाते. इस लिहाज से यह आजकल टाइगर से भी ज्यादा खतरनाक हो गई है.
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