कांग्रेस के प्रथम राष्ट्रीय युवा महाधिवेशन “बुनियाद” के दो दिन कहने को तो युवा प्रतिनिधियों के लिए आयोजित था, लेकिन इसमें कांग्रेस के सभी वयोवृद्ध और बड़े नेता यहाँ तक की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गाँधी की मौजूदगी ये बयाँ करती है की मौजूदा समय में सरकार पर जो संकट मंडरा रहे है, चाहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर हो या अन्य मुद्दों पर हो, अपनी बात रखने का इससे उपयुक्त मंच शायद ही दूसरा हो। लेकिन यहाँ मौजूदा ऍफ़. डी. आई पर जारी गतिरोध पर बात नहीं हुई, लेकिन सबसे ज्वलंत मुद्दे यानि भ्रष्टाचार जरूर बहसबाजी जरूर हुई।
इसी के सन्दर्भ में कांग्रेसी महासचिव राहुल का बयान हुआ की “वर्तमान समय में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार राजनीति में है।”ये बयान शायद इस बात की मौलिक स्वीकृति है की मौजूदा सरकार भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है। अब इसे और व्याख्यात्मक रूप में ले जाने की जरुरत नहीं है क्योकि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का दूसरा कार्यकाल किसी से छिपा नहीं है और अब ये स्वीकारोक्ति उस व्यक्ति की है जिसे भविष्य में देश की बागडोर अपने हाथों में लेनी है लेकिन लाख टके की बात ये है की भ्रष्टाचार किसी एक पार्टी या व्यक्ति की देन नहीं है। इस भ्रष्टाचार में यु पी ऐ की दूसरी पारी अभी तक जूझ रही है और कुछ खबरों की माने ये भी पता चला की राहुल की यह “बुनियाद “रुपी नवनियुक्त पदाधिकारियों का सम्मलेन भी निष्पक्ष चुनाव का हिस्सा नहीं बना। इसमें भी धनबल और पारिवारिक पृष्ठभूमि का बोलबाला रहा। ऐसे में राहुल गाँधी भ्रष्टाचार की ये बात कतई इत्तफाक नहीं रखती क्योंकि ये उनकी भ्रष्टाचार के विरोधी बयानबाजी खोखली ही लगती है। इसके बाद यही कहा जा सकता है की भविष्य में उनकी आने वाली “नेताओ की बेल” क्या पाक साफ़ रहेगी?
अभिषेक द्विवेदी
इंडिया हल्ला बोल