Ab Bolega India!

ऊंची उड़ान- झुलस न जाएं पंख..!

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि सूरत बदलनी चाहिए…रेल मंत्री पवन बंसल साहब ने इस शेर के जरिए रल बजट में भारतीय रेल की सूरत बदलने की बात तो कही लेकिन बंसल साहब के रेल बजट का दूर दूर तक इस शेर से कोई वास्ता दिखाई नहीं दिया। इतना जरूर हुआ कि बंसल साहब ने बिना रेल किराए में बढ़ोतरी किए रेल सफर जरूर महंगा कर दिया। बंसल साहब ने फ्यूल सरचार्ज के साथ ही तत्काल टिकट और आरक्षण रद्द कराने के शुल्क में भी बढोतरी करते हुए पिछले दरवाजे से जनता की जेब काटने का इंतजाम जरूर कर दिया। रेल की सूरत बदले न बदले लेकिन बंसल साहब का शेर यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की संसदीय सीट रायबरेली पर एकदम सटीक बैठता है। रायबरेली में तीन नई ट्रेनें देने के साथ ही रायबरेली में रेल कोच फैक्ट्री के बाद अब पहिए बनाने की फैक्ट्री लगाने का एलान तो कम से कम यही कहानी कह रहा है..!

न बहारों की बात करनी है न सितारों की बात करनी है, तैर पर दरिया पार करना है किनारों की बात करनी है…जाहिर है पवन बंसल इस शेर के जरिए 2014 के आम चुनाव का दरिया पार कर यूपीए सरकार की हैट्रिक लगाने की ओर ईशारा कर रहे थे। इसके लिए बकायदा केन्द्र की सत्ता का रास्ता कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब औऱ हरियाणा को भी कई योजनाएं देकर रेल मंत्री ने 2014 के लिए सियासी संतुलन साधने की भी कोशिश भी की। लेकिन चुनावी साल में रेल मुसाफिरों को रेल बजट से पहले जनवरी में यात्री किराये में ईजाफे का झटका देने के बाद रेल बजट में पिछले दरवाजे से जेब काटना और मालभाड़े में 5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी करना रेल मंत्री के दरिया पार करने के ख्वाब पर कहीं पानी न फेर दे..!

पेड़ पर बैठे परिदों को गिरने का भय नहीं, उसे विश्वास है खुद के पंखों पर…इस शेर के जरिए रेल मंत्री पवन बंसल ने यूपीए सरकार के फैसलों पर रेल बजट को लेकर खुद के फैसलों पर पूरा विश्वास होने की बात कहते हुए ईशारों ईशारों में 2014 की चुनावी वैतरणी बिना किसी भय के पार करने का भी दावा किया लेकिन रेल मंत्री शायद ये भूल गए कि ज्यादा ऊंची उड़ान परिदों के परों को झुलसा भी देती है और ऐसे परिदें फिर कभी उड़ान नहीं भर पाते हैं। वैसे भी यूपीए सरकार तो पहले से ही भ्रष्टाचार, घोटाले और महंगाई की ऊंची उड़ान भर रही है ऐसे में रेल बजट में पिछले दरवाजे से महंगाई की एक और बेफ्रिक उड़ान कहीं चुनावी साल में यूपीए सरकार के पंखों को न झुलसा दे..!

दीपक तिवारी

पत्रकार

Exit mobile version