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लाठी लेकर अलर्ट रहो..!

सलमान खुर्शीद साहब आप भी खूब फर्ज निभा रहे हैं…एक तरफ आप पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को शाही भोज खिला रहे हैं और पाकिस्तानी बदले में हमारे देश में घुसकर हमारे जवानों को एके 47 की गोलियां खिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब इसे आप संयोग कहें या कुछ और लेकिन मतलब तो कई सारे निकलते हैं..!

9 मार्च 2013 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत आते हैं…अजमेर शरीफ में जियारत करते हैं और उसके चार दिन बाद श्रीनगर में पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के आत्मघाती आतंकी हमारे 5 जवानों को मौत की नींद सुला देते हैं। भारत का खुफिया तंत्र देखिए कितना मजबूत है गृहसचिव आरके सिंह कहते हैं कि सीमा पार से आतंकियों के भारत में दाखिल होने की सूचना पहले से थी लेकिन फिर भी हमारे 5 जवान क्यों शहीद हो गए इसका जवाब उनके पास नहीं है।

हैदराबाद धमाके से पहले गृहमंत्री शिंदे साहब भी कुछ ऐसा ही फरमा रहे थे कि धमाके की आशंका पहले से थी लेकिन हुआ क्या सबके सामने है। (पढ़ें- सरकार गरजती है आतंकी बरसते हैं..!)

जनवरी के पहले सप्ताह में सीमा पर पाक सैनिकों की बर्बर कार्रवाई को हम कैसे भुला सकते हैं। (पढ़ें-पाकिस्तान की तो..! )हमारी सरकार सिर्फ गीदड़ भभकी ही देती रह गई और सीमा पर बर्बर कार्रवाई के बाद पहले आतंकवादियों ने हैदराबाद को निशाना बनाया और उसके बाद श्रीनगर में सीआरपीएफ जवानों को।

ये छोड़िए हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी खुलेआम धमकी भी दे रहे हैं कि हिजबुल के विशेष फिदायनी दस्ते भारत पर और ऐसे ही आत्मघाती आतंकी हमले करेंगे लेकिन हमने क्या कर लिया..?

गृहमंत्री शिंदे कहते हैं कि हमें अलर्ट रहना होगा। शिंदे साहब क्या हमारे जवानों का काम सिर्फ दिन रात अलर्ट रहना ही है और पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों का काम कभी धमाके कर तो कभी गोलीबारी कर निर्दोष भारतवासियों और जवानों की हत्या करना..!

चार आतंकी भारतीय सीमा में घुसपैठ कर लेते हैं…हमारी सरकार को इसकी खबर भी है लेकिन घुसपैठ करने वाले आतंकी क्या बिना पाकिस्तानी सैनिकों की मदद के घुसपैठ कर सकते हैं..? सीधा मतलब है कि पाकिस्तानी सैनिक आतंकियों को घुसपैठ करा रही है और फिर पाकिस्तान कहता है कि उसका आतंकियों से कोई लेना – देना नहीं है।

श्रीनगर में आत्मघाती हमले के बाद घायल जवानों को खून देने जा रहे सीआरपीएफ जवानों की गाडियों पर प्रदर्शनकारी पत्थरबाजी करते हैं…क्या ये लोग आतंकी समर्थक नहीं होंगे..? हमले के बाद दो आतंकी भागने में सफल हो जाते हैं…जाहिर है सीमा तो पार नहीं कर गए होंगे..! कहीं आस पास पनाह लेकर सुरक्षित रह रहे होंगे..! क्या जहां आतंकियों ने पनाह ली होगी वे उनके मददगार नहीं होंगे..!

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला का तो क्या कहना…ये जनाब संसद पर हमले के आतंकी अफजल की फांसी पर सवाल उठाते हैं उसके शव को परिजनों को देने की मांग करते हैं लेकिन आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 5 जवान शहीद होते हैं तो उमर अबदुल्ला शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने तक नहीं पहुंचते..! (पढ़ें- शहीदों को श्रद्धांजलि देने भी नहीं पहुंचे उमर अब्दुल्ला)

उमर अबदुल्ला को अपने जवानों की कितनी चिंता है इसका अंदाजा इनकी सरकार के इस आदेश से लगाया जा सकता है जिसके अनुसार सीआरपीएफ के जवान बिना हथियार ड्यूटी करेंगे यानि कि अगर 100 जवान स्थानीय पुलिस की मदद के लिए जाते हैं तो सिर्फ 10 जवान ही हथियार रखेंगे। (पढ़ें-बड़ा सवाल: बिना हथियार कैसे काम करेंगे जवान?) अरे महाराज जब जवानों के पास हथियार ही नहीं होंगे तो आतंकियों का मुकाबला कैसे करेंगे…आपकी तरह तो जवानों के पास भी वीवीआईपी सुरक्षा रहती नहीं है..!

सीआरपीएफ कैंप पर हमले के वक्त वहां मौजूद सभी जवानों के पास हथियार होते तो शायद न तो 5 जवान शहीद होते और न ही दो आतंकी भागने में सफल हो पाते..! लेकिन सरकार ने खुद ही अपने जवानों के हाथ बांध रखे हैं..आतंकी एके 47 से हमला करते हैं तो जवानों के हाथ में लाठी डंडे है..!

सरकार हमले के बाद खुफिया सूचना होने की बात करती है और भविष्य में अलर्ट रहने की बात कहती लेकिन एक के बाद एक कभी जम्मू में तो कभी श्रीनगर में तो कभी हैदराबाद जैसे धमाकों में निर्दोष देशवासियों के साथ ही जवानों के शहीद होने का सिलसिला जारी है। सरकार के रूख को देखने के बाद तो यही लगता है कि ये सिलसिला शायद ही कभी थमेगा..!

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