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अन्ना का विरोध कांग्रेस तक ही सीमित क्यों ?

हरियाणा के हिसार लोक सभा उपचुनाव में उम्मीदवारों का भाग्य मत पेटियों में बंद हो गया है। ज्ञात हो की यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान सांसद भजनलाल के निधन से खाली हुई थी। जहां एक और हरियाणा जनहित कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के सांझे उम्मीदवार कुलदीप बिश्नोई चुनाव मैदान में है वहीं दूसरी और इंडियन नेशनल लोकदल ने अपने हैवीवेट प्रत्याशी अजय चौटाला को मैदान में उतारा है। जबकि राज्य और में केंद्र भ्रष्टाचार के चौतरफा आरोपों से जूझ रही कांग्रेस ने ग्रीन ब्रिगेड से जयप्रकाश-जेपी को टिकेट दिया है, और करीब चालीस अन्य प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला केवल इन तीन परंपरागत प्रत्याशियों के बीच में है।

सियासी तौर पर तो इस सीट का महत्व केवल हरियाणा की जनता और यहाँ के नेताओ तक ही नज़र आ रहा है। लेकिन सामाजिक तौर पर बड़े ही शांतिपूर्ण तरीके से जन लोकपाल बिल को संसद के दोनों सदनों में पास करवाने को लेकर वर्तमान कांग्रेस सरकार की नीयत पर सवाल खड़े करने वाले अन्ना हजारे और उसकी टीम ने भी यहाँ डेरा डाल रखा है और पूरे लोकसभा में क्षेत्र घूम घूम कर कांग्रेस प्रत्याशी को वोट न देकर उसे हरवाने की मुहिम भी आजकल बुद्धिजीवियों में चर्चा का विषय बनी हुई है। जानकार इसे सोची समझी रणनीति का हिस्सा मानते है क्यों की सियासी तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी कहीं भी इस चुनावी जीत की द्दौड़ में नज़र नहीं आ रहा है। जिसका सीधा लाभ अन्ना हजारे और उनकी टीम ही लेने के मूड में है। एक के बाद एक घोटालों और और भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से वैसे ही पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ एक जन आन्दोलन खड़ा हो चुका है। जिसे लेकर अन्ना टीम यहां डेरा डाले हुए है और कांग्रेस प्रत्याशी की हार का श्रेय खुद की भ्रष्ट्राचार के खिलाफ़ मुहिम को को देने का मूड बनाए हुए है। गौरतलब है की अन्ना टीम के अरविन्द केजरीवाल भी हिसार के रहने वाले है और कोई भी दल अन्ना की भ्रष्टाचार की मुहीम की अवहेलना करने की हिम्मत नही कर रहा था। सभी ने भ्रष्टाचार की मुहीम को समर्थन की बात कह कर आम जनता से वोट की मांग की और खुद की जीत के बड़े बड़े दावे किये है। लेकिन यह आने वाले समय मे ही पता चलेगा कि कौंन कितने पानी मे है।

इधर दूसरी और अन्ना टीम ने बड़ी सूझ बूझ के साथ हिसार से ही अपनी मुहिम को शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके पीछे जानकार कहते है की एक तो पहले से ही कांग्रेस प्रत्याशी कही भी चुनावी जीत की दौड़ में नहीं है और जीत के लिए सीधा मुकाबला हरियाणा जनहित कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के कुलदीप बिश्नोई और इंडियन नेशनल लोकदल के अजय चौटाला के बीच में ही सिमट कर रह गया है। जिस से चुनाव परिणाम के बाद सीधे तौर पर अन्ना टीम इस बात का श्रेय ले सकती है की कांग्रेस प्रत्याशी की हार उनकी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम की वजह से हुई है। हालांकि खुद अन्ना टीम के अरविन्द केजरीवाल हिसार के ही रहने वाले है और पूरे चुनावी माहौल के बीच वह डेरा डाले हुए थे। इसी बीच हिसार लोकसभा में क्षेत्र आने वाले उचाना विधान सभा के एक गावं में उन्हें आम जनता के सीधे सीधे सवालों से भी दो चार होना पड़ा! जनसभा के दौरान एक युवक उठ खड़ा हुआ और सवाल पूछने लगा की अन्ना टीम क्यों कर सिर्फ कांग्रेस के खिलाफ ही बोल रहे है जबकि इस चुनाव में करीब चालीस प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। खुद इनेलो प्रत्याशी अजय चौटाला के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामले सीबीआई पहले ही चौटाला परिवार के खिलाफ उच्च न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। और आलम यह है की टीम अन्ना के मुख से अभी तक भी चौटाला के खिलाफ भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में एक भी शब्द नहीं निकला है, और ज्ञात होगा की जब अप्रैल महीने सभी अन्ना हज़ार ने जंतर मंतर पर आमरण अनशन किया था उस समय पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला अन्ना हजारे के समर्थन में वह गए थे तो आम जनता ने उन्हें वह से बैरंग वापस लौटा दिया था। इसलिए हिसार लोकसभा की जनता इस सीधे सवाल से जूझ रही है की अगर वह चुनाव में अगर कांग्रेस प्रत्याशी को वोट ना दे तो फिर आखिर किसे वोट दे इस बात का जवाब टीम अन्ना नहीं दे रही है।

 

दिनेश कुमार गौतम

वरिष्ठ पत्रकार

इंडिया हल्ला बोल

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