वैसे देखा जाय तो इस देश को हम ही चला रहे हैं और आने वाले हजार सालों तक हम ही इस देश को चलाएंगे ! देखा जाय तो , देश तो अपने आप ही चल रहा है , हमने तो इस देश की लुटिया पहले भी कई बार डुबोई है और आज भी पूरी कोशिश में हम सब लगे हुए हैं , देखते हैं ये कोशिश कब रंग लाती है ! हमारा उद्देश्य देश को आगे बढ़ाने का है ! हम देश को विकसित और विकासशील देशों की श्रेणी में प्रथम स्थान पर लाने के लिए हर संभव कोशिश करने के लिए प्रयासरत हैं ! सच पूछा जाय तो तो हमारा मुख्य उद्देश्य सिर्फ लड़ना है !
हम कहीं भी कभी भी लड़ सकते हैं ! लड़ने में हम सब पूर्ण रूप से पारंगत हैं ! ” संसद भवन ” सड़क ” मंदिर ” घर -बाहर “ देश में विदेश में , शादी समारोह में , खेल के मैदान में ! हम बात बात पर लड़ते हैं , बिना किसी बात के भी लड़ते हैं ! सही बात पर भी लड़ते हैं , झूंठी बात पर भी लड़ते हैं ! पक्ष में होते हैं तो लड़ते हैं , विपक्ष में होते हैं तो लड़ते हैं ! हम सरकार में रहकर लड़ते हैं ! हम सरकार से लड़ते हैं ! बिना लड़े , बिना बात का मुद्दा उठाये हमें हमारा खाना कभी हजम नहीं होता ! हमारे लड़ने पर भले ही आम जनता का अहित होता हो , भले ही उनका नुक्सान होता हो , भले ही देश की अर्थव्यवस्था को नुक्सान होता हो , किन्तु इन सब के बीच फायदा सिर्फ हमारा ही होता है ! हम हमेशा सिर्फ अपने भले की सोचते हैं तभी तो ” लोकपाल “ पर इतने दिनों से लड़ रहे हैं ! हम नहीं चाहते कि , मंहगाई खत्म हो, डीजल-पेट्रोल मूल्य वृधि कम हो , हम नहीं चाहते कि , ” कालाधन “ मामले पर कोई बात हो , इसे वापस लाया जाये ! इस देश से आतंकवाद खत्म हो , गरीबी खत्म हो , बेरोजगारी खत्म हो , भ्रष्टाचार – घूसखोरी , लूट-खसोट , दंगे-फसाद , धर्म-मजहब के नाम पर होने वाली लड़ाईयां बंद हों !
इस देश में किसान आत्महत्या करता है तो करे , मासूम बच्चे कुपोषण का शिकार होते हों तो हों , देश की युवा पीढ़ी नशे के दलदल में फंसती है तो फसे , इस देश में धर्म की आड़ में महिलाओं का दैहिक शोषण होता है तो हो , भले ही हम अपने वादे पर कभी खरे ना उतरे हों ! ये सारी बातें हमारे लिए सिर्फ मुद्दे हैं , और ये वो मुद्दे हैं जो हमें साल भर अपना काम ( लड़ाई ) करने के लिए पर्याप्त हैं ! हम हमेशा बही काम करते हैं जिसमे हमारा फायदा ज्यादा से ज्यादा हो ! आखिर हम इस देश के महान राजनेता जो हैं ! हम भले ही किसी भी पार्टी में रहें , हमारा उद्देश्य लक्ष्य को कभी भी पूरा ना करना है बल्कि लक्ष्य से भटकाना है ! ये थी राजनेता और उनकी राजनीतिक पार्टियों के मन की बात !
संजय़ कुमार