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बच्चों को साक्षर और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये छोड़ दी आराम की ज़िंदगी 

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 बच्चों को साक्षर और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये छोड़ दी आराम की ज़िंदगी 

वो शख्स चाहता तो जिंदगी में खूब पैसा कमा कर ऐशो आराम की जिंदगी भी जी सकता था, लेकिन हरियाणा के एक गांव में जन्म लेने वाले उस इंसान ने गरीबी को काफी करीबी से देखा था। उसका मानना था कि अगर महिलाओं और बच्चों पर ध्यान दिया जाये तो हालात बदल सकते हैं। इसलिए उसने महिलाओं के सशक्तिकरण और बच्चों के सामाजिक विकास पर काम करना शुरू किया।

दिनेश कुमार गौतम (Dinesh Kumar Gautam) नाम का ये शख्स आज अपनी संस्था ‘दृष्टि फाउंडेशन ट्रस्ट’ (Drishti Foundation Trust) के जरिये देश के सात राज्यों में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े काम कर रहा है। खास बात ये है कि इतने बड़े पैमाने पर काम करने वाले दिनेश ने कभी कोई सरकारी मदद नहीं ली।

“दृष्टि फाउंडेशन ट्रस्ट” (Drishti Foundation Trust)  के संस्थापक और समाजिक कार्यकर्ता  दिनेश कुमार गौतम ( Dinesh Kumar Gautam) की यात्रा काफी संघर्षपूर्ण रही है, लेकिन अपनी मेहनत और जज्बे के बूते उन्होंने मुश्किल हालात में भी संयम बनाए रखा और कठिन राह भी आसानी से पार कर ली।

जिंदगी में पैसे को उन्होंने कभी भी अहमियत नहीं दी और समाज के लिए काम करना ही उन्होंने अपनी जिंदगी का मुख्य लक्ष्य बनाया और पिछले कई वर्षों से वे इस कार्य में दिन-रात लगे हैं।

दिनेश का जन्म हरियाणा के झज्जर ज़िले के एक छोटे से गांव गुभाना में हुआ और उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई दिल्ली के नजफगढ़ इलाके से पूरी की। दिनेश बचपन से ही छोटी छोटी चीजों को बड़ी बारीकी से देखते व उनका विश्लेषण करते थे व सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय सबके सामने रखते थे।  जब वे मात्र 19 साल के थे तो उन्होंने  ‘नयी दिल्ली एजुकेशन सोसाइटी’ (New Delhi Education Society ) की स्थापना की ये साल 1998 की बात है। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने हरियाणा और राजस्थान के क्षेत्र के मेवात और अलवर जिले के गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।

चूंकि शुरूआत में स्टाफ की काफी कमी थी इसलिए कई बार तो दिनेश खुद ही स्कूल वैन चलाकर बच्चों को लेने चले जाया करते थे। उनकी मां ने एक बार मुझे हंसते हुए बताया कि स्कूल के दिनों ने सुबह की प्रार्थना के समय दिनेश इतनी बुलंद आवाज़ से प्रार्थना किया करते थे कि अगर कोई बच्चा कहीं दूर सो भी रहा हो तो वो भी उठ जाए और स्कूल पहुंच जाए।

दिनेश ने दक्षिण भारत के एक प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट से एम.ए (M.A) किया और दिल्ली से मास कम्यूनिकेशन  (Mass Communication) करने के लिए स्कॉलरशिप भी मिली।

इसी समय साल 1999 में उन्होंने एक एनजीओ ‘जीवन ज्योति समिती’ को भी रजिस्टर करवाया और महिलाओं और बच्चों के लिए काम करना शुरू किया। इसके जरिये वो स्वास्थ्य, शिक्षा और वोकेश्नल ट्रेनिंग देने का काम जोरों से करने लगे। इसके लिए उन्होने दिल्ली और उसके आस पास के स्लम एरिया के बच्चों व महिलाओं को चुना और बड़ी मेहनत के साथ वो इनके स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान देने लगे।

वहीं दूसरी ओर अपने जीवनयापन के लिए उन्होंने एक अखबार में बतौर पत्रकार के रूप में भी काम करना भी शुरू किया लेकिन उनका मन हमेशा समाजिक कार्यों  (Social Work) में ही लगता था और वे केवल उसी क्षेत्र में काम करना चाहते थे और गरीबों की मदद करके देश को आगे बढ़ाना चाहते थे।

आज उनके एनजीओ से बहुत से स्वयंसेवक जुड़ चुके थे ,जो दिल्ली के कीर्ति नगर औऱ उसके आस पास के स्लम इलाके में जाकर काम करने लगे। पहले नौकरी और उसके बाद विवाह के पश्चात पारिवारिक जिम्मेदारियों कारण दिनेश को जल्द ही गुजरात के अहमदाबाद को अपना कार्यक्षेत्र बनाना पड़ा ,लेकिन समाज के लिए काम करने के उनके इस जुनून में जरा भी कमी नहीं आई और साल 2012 में उन्होंने वहां पर एक एनजीओ ‘दृष्टि फाउंडेशन ट्रस्ट ’ ( Drishti Foundation Trust ) की शुरूआत की और तब से लेकर आज तक यह एनजीओ लगातार लोगों के बीच जाकर जमीनी स्तर पर काम कर रहा है औऱ जरूरतमंदों की मदद में लगा है।

दृष्टि फाउंडेशन से जुडे वॉलेंटियर्स की संख्या 10 हजार से ज्यादा है और यह भारत के 7 राज्यों में स्वास्थ्य, शिक्षा, ह्यूमन ट्रैफिकिंग कंट्रोल (Health, Education & human trafficking control) जैसे मुद्दों पर काम कर रहा है।

खास बात ये है कि सामाजिक कार्यों को उन्होने अपना कर्तव्य बताया इसलिए दिनेश ने आज तक किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं ली है वो औऱ उनके वॉलंटियर्स बिना किसी स्वार्थ  के अपना काम कर रहे हैं।

उनके वॉलंटियर्स भी बिना किसी सेलरी के उनके साथ काम में लगे हैं। पैसा लेना तो दूर जरूरत पड़ने पर ये सभी वॉलंटियर्स अपनी ओर पैसा खर्च करने में नहीं हिचकते। ये बात इस चीज को बताने के लिए पर्याप्त है कि ये सभी लोग किस जज्बे के साथ काम कर रहे हैं।

एनजीओ से जुड़े लोगों की पृष्ठभूमि (Background) सम्पन्न परिवारों से है और ज्यादातर अच्छी नौकरियां कर रहे हैं।वही दूसरी ओर दिनेश ने हरियाणा सरकार के साथ मिलकर दिल्ली एनसीआर में कई चैरिटेबल डेंटल और हेल्थकेयर यूनिट शुरू करवाएं हैं, जहां गरीबों का मुफ्त में इलाज होता है।

दिनेश सादा जीवन जीते हैं बचत के नाम पर उनके पास ना के बराबर पैसा है वे अपना पूरा वेतन  भी अपने एनजीओ पर लगा देते हैं,ताकि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों की मदद की जा सके।

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