बच्चों को साक्षर और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये छोड़ दी आराम की ज़िंदगी 

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दिनेश का जन्म हरियाणा के झज्जर ज़िले के एक छोटे से गांव गुभाना में हुआ और उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई दिल्ली के नजफगढ़ इलाके से पूरी की। दिनेश बचपन से ही छोटी छोटी चीजों को बड़ी बारीकी से देखते व उनका विश्लेषण करते थे व सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय सबके सामने रखते थे।  जब वे मात्र 19 साल के थे तो उन्होंने  ‘नयी दिल्ली एजुकेशन सोसाइटी’ (New Delhi Education Society ) की स्थापना की ये साल 1998 की बात है। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने हरियाणा और राजस्थान के क्षेत्र के मेवात और अलवर जिले के गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।

चूंकि शुरूआत में स्टाफ की काफी कमी थी इसलिए कई बार तो दिनेश खुद ही स्कूल वैन चलाकर बच्चों को लेने चले जाया करते थे। उनकी मां ने एक बार मुझे हंसते हुए बताया कि स्कूल के दिनों ने सुबह की प्रार्थना के समय दिनेश इतनी बुलंद आवाज़ से प्रार्थना किया करते थे कि अगर कोई बच्चा कहीं दूर सो भी रहा हो तो वो भी उठ जाए और स्कूल पहुंच जाए।

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