नाम है आसाराम बापू लेकिन बापू जी को शर्म नहीं आती। आसाराम जी अपने नाम के साथ जुड़े “राम” शब्द का ही मान रख लेते…आपने तो ऐसा बोल दिया कि लोग “राम-राम” करने लगे हैं। नशे में धुत छह शैतान अपने खौफनाक ईरादे लिए बस में सवार होकर दिल्ली की सड़कों पर अपनी हैवानियत को अंजाम देने के लिए घूम रहे होते हैं और मौका मिलते ही एक हंसती खेलती लड़की का जीवन तबाह कर देते हैं।
13 दिनों तक असहनीय दर्द को झेलने के बाद मासूम दुनिया को अलविदा कह देती है…और आप कहते हैं कि ताली एक हाथ से नहीं बजती..! अरे महाराज आप तो हाईटेक बाबा हो आपको इतना तो पता ही होगा कि बस में एक हाथ नहीं 12 हाथ 6 शैतानी दिमाग के ईशारे पर हैवानियत का खेल खेल रहे थे। उन्हें ये होश नहीं था कि वे क्या कर रहे हैं..? किसके साथ कर रहे हैं..? इसका अंजाम क्या होगा..? और आप कहते हैं कि पीड़ित लड़की किसी एक शैतान को अपना भाई बना लेती..! खुद के अबला होने का हवाला देकर इस खौफनाक वाक्ये को होने से रोक सकती थी।
गजब करते हो महाराज हर कोई व्यक्ति आप की तरह साधु तो होता नहीं कि किसी ने सामने हाथ जोड़ लिए और कर दिया उसे माफ..! आप तो खुद को संत कहते हो…महात्मा कहते हो…लोगों को सत्कर्म की सीख देते हो…आप से तो इस तरह के बोल की उम्मीद नहीं थी…लेकिन लगता है कि आपने भी इसे दूसरे बयानवीर नेताओं की तरह जल्द सुर्खियों में छाने की बहती गंगा समझ लिया और विवादित बयान देकर धो डाले अपने हाथ..! पूरा देश चलती बस में हैवानियत का खेल खेलने वाले शैतानों को फांसी देने की मांग कर रहा है और आप कहते हो कि दिल्ली गैंगरेप घटना के लिए पीड़ित भी जिम्मेदार है..! अरे महाराज किसी के दुख में उसके सहभागी न बन सको न सही लेकिन किसी के जख्मों को कुरेदो तो मत।
एक तरफ पीड़ित को ही घटना के लिए जिम्मेदार ठहरा देते हो और दूसरी तरफ पीड़ित के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हो। ये कैसा आपका दोहरा चरित्र है कि आप एक जघन्य अपराध के लिए अपराधियों की बजाए उल्टा पीड़ित को ही दोषी ठहरा रहे हो। देश बलात्कार के खिलाफ कड़े कानून की मांग कर रहा है और आप ये कहकर बलात्कारियों का मनोबल बढ़ा रहे हो कि कड़े कानून मर्दों के लिए मुसीबत बन जाएगा…महिलाएं इसका दुरुपयोग करेंगी। गजब करते हो महाराज अभी तो कानून बना भी नहीं कि आपने इस पर सवाल खड़े कर दिए..! ऐसे में तो बन गया कानून और रूक गए बलात्कार..! आसाराम जी प्रवचन और बयानबाजी से न बलात्कार रूकते हैं और न अपराध…आपके आश्रम में तो खुद कई बार बच्चों को रहस्यमयी मौत और बच्चों को प्रताड़ित करने की खबरें सुर्खियां बनती रही हैं..!
आपके आश्रम में तो झाड़-फूंक और जादू-टोना तक होने तक की खबरें उछलती रही हैं..!जब आपके आश्रम में ये सब हुआ उस वक्त तो आप चुप थे लेकिन 6 दरिंदे एक मासूम के साथ हैवानियत का खेल खेलते हैं तो आप दूसरों को नसीहत दे रहे हैं..! दूसरों पर कीचड़ उछालने से पहले अपने गिरेबां में भी झांक लीजिए। एसी गाडियों में घूमने और एसी चैंबर में बैठकर दूसरों को सादगी का प्रवचन देने से कुछ नहीं होता महाराज..! जब गैंगरेप के खिलाफ देश में आक्रोश था…आरोपियों को फांसी की मांग को लेकर लोग सड़कों पर आवाज बुलंद कर रहे थे उस वक्त तो आप कहीं नजर नहीं आए और आज कहते हो कि ताली एक हाथ से नहीं बजती..! इससे अच्छा तो था कि आप चुप ही रहते…वैसे भी नेताओं और बाबाओं से देश के लोगों को बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं लेकिन अफसोस फिर भी इनकी बातों में देश की जनता आ ही जाती है..!
दीपक तिवारी