हम जिस देश में रहते हैं वहां की संस्कृति और समाज सेक्स जैसे विषय पर खुलकर बात नहीं करती हैं। और जो इंसान इस पर खुलकर बोलता है उसे ही बेशर्म की संज्ञा दे दी जाती है। खासकर हमारे देश में माता-पिता भी इस बारे में बच्चों से कभी कोई बात करना पसंद नहीं करते हैं और न चाहते हैं कि इस तरह की बातें उनके बच्चे उनसे इस विषय पर कुछ पूछे। भारत ही नहीं विश्व के कई देश शादी से पहले शारीरिक संबंधों को सही नहीं मानते हैं। लेकिन आपको सुनकर हैरत होगी कि भारत में भी एक ऐसा राज्य है जहां के बच्चे मां के नाम से जाने जाते हैं।
राजस्थान के जैसलमेर में “नगर वधुओं” एक ऐसा गांव है। यहां की युवतियां शादी से पहले ही कई लोगों से शारीरिक संबंध बनाती है। ऐसी सूरत में बच्चे को अपने पिता का नाम पता नहीं होता है। सुनने में भले ही ये अजीब लग रहा है, लेकिन यहां की ये परंपरा है। यहां शादियों का चलन नहीं है। वहीं विश्व में एक ऐसा भी देश है जहां पर लड़की का पिता ही उससे कहता है कि वो जाकर लड़कों से मिले और अच्छा लगे तो उसके साथ रिलेशन बना लें। यह प्रथा कंबोडिया के आदिवासी समुदाय का है।
इस संबंध का पहले भी समाज में थी स्वीकृति जैसलमेर के नगर वधुओं के इस गांव में युवतियों का शादी नहीं करना और एक से अधिक कई से शारीरिक संबंध बनाना समाज में जायज था। लेकिन बदलते दौर ने इस परंपरा को वेश्यावृत्ति में बदल दिया। इस वजह से यहां की युवतियों को घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। इतना ही नहीं युवतियों को अपने इस धंधे की कमाई का कुछ भाग टैक्स के रूप में भी अदा करना पड़ता था। इस गांव में सदियों से शादी का चलन नहीं है इस गांव में शादी की कोई खास परंपरा नहीं है। यहां बिना शादी के ही युवतियां शारीरिक संबंध बनाती हैं। यही कारण है कि गांव के बच्चे अपनी मां के नाम से जाने जाते हैं। एक एनजीओ की मदद से चार साल पहले गांव में पहली बारात आई थी तब यह निर्णय लिया गया कि बहुओं को दूसरे से शारीरिक संबंध नहीं बनाने दिया जाएगा।
इस गांव में सिर्फ महिलाएं और बच्चे हैं: नगर वधुओं का एक ऐसा गांव, जहां बसती हैं सिर्फ महिलाएं और उनके मासूम बच्चे। ऐसे बच्चे जो अपने बाप के नाम से नहीं बल्कि अपनी मां के नाम से जाने जाते हैं, स्कूल में भी इनके नाम के आगे मां का नाम ही लिखा हुआ है। यह गांव है राजस्थान के बाड़मेर जिले का सांवरड़ा गांव। इस गांव में साटिया जाति के करीब 70 परिवार निवास करते हैं। गांव में 132 नगर वधुएं और लगभग 45 बच्चे हैं जो गांव के प्राथमिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। गांव की महिलाएं अपना और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए शारीरिक संबंध बनाती है।
कैसे शुरू हुई ये परंपरा: यह परंपरा 2500 साल पहले की है। जब भारत पर मौर्य वंश का राज था। तब युवतियां शादी से पूर्व ही शारीरिक संबंध बनाती थी। वे एक से अधिक लड़कों से इस तरह के संबंध रखती थी। ऐसा करना उनकी परंपरा में था। पुरुष इसके एवज में खूब धन-दौलत देते थे। ऐसा कहा जा सकता है कि युवतियों से देह व्यापार कराया जाता था। नगर के लोगों के द्वारा प्राप्त धन से इन युवतियों का कोषालय हमेशा भरा रहता था। इनकी इस कमाई का कुछ भाग राजकोष में कर के रूप में जमा कराया जाता था जिसका उपयोग राजा द्वारा अपने राज्य की भलाई में किया जाता था।
पिता ही तैयार करता है बेटी के लिए झोपड़ी: शादी से पहले युवतियां पिता के कहने पर शारीरिक संबंध बनाती है। कंबोडिया के आदिवासी समुदाय में यह एक प्रथा है। प्रथा के मुताबिक जैसे ही किसी युवती को मासिक धर्म आना शुरू हो जाता है तो उसे जवान मान लिया जाता है। इसके बाद पिता अपनी बेटी के लिए एक झोपड़ी तैयार करता है। इसे लव हट कहा जाता है। जिसमें लड़की आदिवासी समुदाय के लड़कों से मिलती है और अच्छा लगने पर संबंध बना लेती है। इसके बाद भी लड़की को लड़का सही नहीं लगता है तो वह उससे शादी नहीं करती है।