चमकौर का युद्ध – 10 लाख मुसलमान सैनिकों से लड़कर जीते थे मात्र 40 सिक्ख

Battle-of-Chamkaur---5

यह सुनकर गुरूदेव जी ने सिक्खों से कहा: ‘तुम कौन से साहिबजादों (बेटों) की बात करते हो, तुम सभी मेरे ही साहबजादे हो’ गुरूदेव जी का यह उत्तर सुनकर सभी सिक्ख आश्चर्य में पड़ गये। गुरूदेव जी के बड़े सुपुत्र अजीत सिंह पिता जी के पास जाकर अपनी युद्धकला के प्रदर्शन की अनुमति माँगने लगे। गुरूदेव जी ने सहर्ष उन्हंत आशीष दी और अपना कर्त्तव्य पूर्ण करने को प्रेरित किया।

साहिबजादा अजीत सिंह के मन में कुछ कर गुजरने के वलवले थे, युद्धकला में निपुणता थी। बस फिर क्या था वह अपने चार अन्य सिक्खों को लेकर गढ़ी से बाहर आए और मुगलों की सेना पर ऐसे टूट पड़े जैसे शार्दूल मृग-शावकों पर टूटता है। अजीत सिंघ जिधर बढ़ जाते, उधर सामने पड़ने वाले सैनिक गिरते, कटते या भाग जाते थे। पाँच सिंहों के जत्थे ने सैंकड़ों मुगलों को काल का ग्रास बना दिया।

अजीत सिंह ने अविस्मरणीय वीरता का प्रदर्शन किया, किन्तु एक एक ने यदि हजार हजार भी मारे हों तो सैनिकों के सागर में से चिड़िया की चोंच भर नीर ले जाने से क्या कमी आ सकती थी। साहिबजादा अजीत सिंह को, छोटे भाई साहिबज़ादा जुझार सिंह ने जब शहीद होते देखा तो उसने भी गुरूदेव जी से रणक्षेत्र में जाने की आज्ञा माँगी। गुरूदेव जी ने उसकी पीठ थपथपाई और अपने किशोर पुत्र को रणक्षेत्र में चार अन्य सेवकों के साथ भेजा।

Check Also

19 strange animals from around the world । जानिए दुनिया के 19 बेहद अजीबोगरीब जीव-जंतुओं के बारे में

19 strange animals from around the world :- यदि किसी ने यह कहा है कि, …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *