कोरोना वायरस के चलते भारत ने भी चीन की मंशा पर पानी फेरा

कोरोना वायरस की उत्पत्ति और उसके फैलाव की जानकारी छुपाने के कारण दुनिया भर को मुसीबत में डालने वाले चीन दुनिया के देशों की आंख की किरकिरी बना हुआ है।

चीन ने महाआर्थिक मंदी का फायदा उठाते हुए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के शेयर खरीद कर उनका नियंत्रण अपने हाथों में लेने की जो साजिश रची है, उसे अमेरिका और यूरोप ने बेअसर कर दिया गया है।

अब भारत सरकार भी अपने देश की कंपनियों के बचाव में आगे आई और उसने चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए पड़ोसी देशों से ऑटोमेटिक रूट से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की प्रावधान को वापस ले लिया है।

गौरतलब है कि भारतीय बैंकिंग कंपनी एचडीएफसी में पीपुल्स बैंक ऑफ चाइनाने अपने शेयर की संख्या 0.8 प्रतिशत बढ़ाकर 1.01 प्रतिशत कर लिया था। इससे भारतीय कंपनियों में घबराहट हो गई थी।

केंद्र सरकार ने शनिवार को एफडीआई नियमों में संशोधन करते हुए व्यवस्था दे दी है कि  राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत की सीमाओं से लगे पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यानमार, भूटान और चीन को भारत में ऑटोमेटिक रूट से एफडीआई की अनुमति नहीं होगी अगर कोई एफडीआई का प्रस्ताव आता है तो उसे सरकार की अनुमति लेनी होगी।

सरकार ने एफडीआई नियम 3.1.1 में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया है। वर्तमान में निर्माण, विनिर्माण फार्मास्युटिकल्स, मेडिकल उपकरण आदि में 100% एफडीआई की अनुमति है और कुछ क्षेत्रों में ऑटोमेटिक रूट से एफडीआई ले सकते हैं।

दरअसल, चीन की कंपनियों ने महामंदी का फायदा उठाकर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण और उनके अधिसंख्य शेयर खरीदने की चाल चली। वह कुछ कंपनियों का मालिकाना हक लेने में वे कामयाब हो गया।

लेकिन उसकी चाल को भांपकर अमेरिका, इटली, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन आदि ने अपने कानूनों में बदलाव करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर ऑटोमेटिक रूट रोक दिया।

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