यूपी सरकार जुलाई के अाखिर तक 86 लाख लघु और सीमांत (स्मॉल एंड मार्जिनल) किसानों का कर्ज माफ कर देगी। इस समय तक किसानों के कर्ज माफी का पैसा सरकारी बैंकों को भेज दिया जाएगा। राज्य के एग्रीकल्चरल प्रोडक्शन कमिश्नर चंद्र प्रकाश ने कहा लाभार्थी (Beneficiary) किसानों की बैंकों की लिस्ट 15 दिन में हर जिले के डीएम के पास पहुंच जाएगी।
इसके बाद स्टेट लेवल पर एक खास सॉफ्टवेयर की मदद से इस लिस्ट में शामिल उन किसानों का नाम हटाया जाएगा, जिनके पास ज्यादा खेत हैं और उन्होंने कम जमीन दिखाकर कर्ज ले रखा है।कमिश्नर चंद्र प्रकाश ने कहा इस लिस्ट में लघु और सीमांत जमीन वाले संपन्न किसानों को अलग नहीं किया जाएगा। इसकी वजह यह है कि एेसे किसानों की पहचान करने का कोई क्राइटेरिया नहीं है।
इन्हें लिस्ट से अलग करने के लिए अगर लेखपाल से रिपोर्ट मांगेंगे तो भ्रष्टाचार की गुंजाइश है। ऐसे में राज्य सरकार ने खेती की जमीन के आधार पर किसानों को कर्ज माफी का फायदा देने का फैसला लिया है।इस प्रॉसेस में करीब 15 दिन लगेंगे। आखिरी लिस्ट तैयार होने पर ही कर्ज माफी पर अमल होगा। माना जा रहा है कि सारी प्रॉसेस पूरी होने में अभी एक महीने से ज्यादा समय लगेगा।
जुलाई के अाखिर तक किसानों के कर्ज का पैसा सरकार बैंकों को भेजेगी।कर्ज माफी योजना के लिए 36 हजार 729 करोड़ का इंतजाम करने के लिए राज्य सरकार किसान राहत बॉन्ड जारी करेगी।योगी सरकार कर्ज माफी से पड़ने वाले इकोनॉमिक बर्डन से बचने के लिए उन राज्यों के मॉडल की स्टडी भी कर रही है, जिन्होंने अपने रिसोर्सेज से किसानों का कर्ज माफ किया है।
आंध्र प्रदेश के कर्ज माफी मॉडल को भी देखा जा रहा है। आंध्र के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी पीवी रमेश कुमार ने सीएमओ में प्रेजेंटेशन दिया था। वहां 3 साल के पीरियड में किसानों के कर्ज को चुकाया गया है।कमिश्नर चंद्र प्रकाश ने बताया लघु और सीमांत जमीन के मालिक सभी किसानों को कर्ज माफी का फायदा दिया जाएगा। परिवार को आधार नहीं बनाया जाएगा।
यह संभव है कि एक पिता के कई बालिग बेटे हों, जिनके नाम जमीनें हों और वे लघु और सीमांत किसान के दायरे में आ रहे हों। अगर एेसे किसानों ने कर्ज लिया है तो उन्हें भी इस योजना का फायदा मिलेगा।इस योजना में एक हेक्टेयर यानी 2.50 एकड़ तक के सभी किसान सीमांत कैटेगरी में आएंगे। जबकि दो हेक्टेयर यानी पांच एकड़ तक के सभी किसान लघु कैटेगरी में आएंगे। कुल 2.30 करोड़ किसानों में से 92.5 % यानी 2.15 करोड़ किसान लघु और सीमांत कैटेगरी में हैं। इनमें से 86.68 लाख किसानों ने फसली कर्ज ले रखा है।