प्रधानमंत्री की सफाई पर यशवंत सिन्हा ने एक फिर पलटवार किया। सिन्हा ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा अर्थव्यवस्था का चीरहरण होगा तो मैं खामोश नहीं रहूंगा, बोलूंगा। सिन्हा ने ये भी कहा मैंने तो सोचा था कि पीएम किसी राज्यमंत्री को आगे करेंगे, लेकिन मेरे सवालों का जवाब देने के लिए खुद आगे आ गए। बता दें कि मोदी ने सरकार की आलोचना करने वालों को सफाई देते हुए कहा था कि कुछ लोग महाभारत में कर्ण के सारथी रहे शल्य की तरह होते हैं, ये लोग केवल दूसरों में निराशा फैलाते हैं।
सिन्हा ने इंटरव्यू में कहा प्रधानमंत्री इसमें खुद शामिल हो गए। यह जानकर मुझे आश्चर्य हुआ। मुझे लगा था कि अपनी बात रखने के लिए किसी राज्यमंत्री को आगे करेंगे। लेकिन उन्होंने खुद देश की जनता के सामने कुछ बातें रखी हैं तो यह स्वागत योग्य है। और यह डिबेट आगे बढ़ना चाहिए। और उसी डिबेट को आगे बढ़ाते हुए मैं आपसे कहूंगा कि आंकड़ों का जो खेल होता है न वह बहुत खतरनाक होता है।
इन आंकड़ों के बल पर आप एक पक्ष साबित करेंगे तो उन्हीं पर मैं दूसरा पक्ष साबित कर सकता हूं। इसलिए इनके साथ हमें जमीनी हकीकत भी देखनी चाहिए।एक तिमाही में ही ऐसा नहीं हुआ है। इसके पहले वाली तिमाही में भी ऐसा हुआ है। उस तिमाही में भी जीडीपी 5.7% से भी कम रहा था। इसलिए छह तिमाही से लगातार जीडीपी नीचे आ रही है।
जब आप 2019 में चुनाव में जाएंगे, तब लोग आपसे ये नहीं पूछेंगे कि यूपीए सरकार की तुलना में कितना काम किया, लोग आपसे पूछेंगे कि आपने जो वादे किए थे, उनका क्या हुआ?इसके जवाब में हम कहेंगे कि हमने यूपीए से बेहतर काम किया है तो वे इस रिस्पॉन्स से सहमत नहीं होंगे। सिन्हा ने मोदी को सलाह देते हुए कहा कि लोगों के सवालों का जवाब देना होगा।
जब हम जनता के बीच होंगे, तब एकतरफा कम्युनिकेशन नहीं होगा। जो बड़े-बड़े नेता हैं उनके बीच वनवे कम्यूनिकेशन हो सकता है, लेकिन जब हम जनता के बीच जाएंगे, तब यह नहीं होगा।महाभारत में हर तरह के कैरेक्टर हैं। एक शल्य का भी चरित्र था। शल्य कौरवों के पक्ष में क्यों गया, इसकी कहानी आप सभी जानते हैं। दुर्योधन ने उन्हें ठग लिया। वो तो नकुल और सहदेव के मामा थे। उन्हें तो पांडवों की तरफ से लड़ना था, लेकिन ठगी के शिकार हो गए।
महाभारत में एक और कैरेक्टर भीष्म पितामह का है। उनका बहुत अच्छा चरित्र है। लेकिन आज भी वो इतिहास में दोषी माने जाते हैं, जब द्रोपदी का चीरहरण हो रहा था। तब भीष्म पितामह खामोश थे। मैं कहना चाहता हूं कि अगर अर्थव्यवस्था का चीरहरण होगा तो मैं खामोश नहीं रहूंगा और बोलूंगा। सिन्हा ने हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार में आर्टिकल लिखा था जिसमें उन्होंने इकोनॉमी में गिरावट के लिए अरुण जेटली और मोदी सरकार की आलोचना की थी।
सिन्हा ने कहा था इकोनॉमी की हालत खराब है। पिछले 2 दशक में प्राइवेट क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट सबसे कम रहा है। जीएसटी को गलत तरीके से लागू किया गया। इससे लाखों लोग बेरोजगार हो गए। इकोनॉमी में पहले से ही गिरावट आ रही थी, नोटबंदी ने तो सिर्फ आग में घी का काम किया।नोटबंदी सबसे बड़ा इकोनॉमिक डिजास्टर साबित हुई। जीएसटी को गलत तरीके से लागू करने का बिजनेस पर बहुत बुरा असर पड़ा। लाखों लोग बेरोजगार हो गए। बाजार में नौकरियां अवलेबल नहीं हैं।
जेटली पर सिन्हा ने कहा था कि फाइनेंस मिनिस्ट्री में कोई भी शख्स एक ही काम देख सकता है। बदलते दौर में वहां 24 घंटे काम की दरकार होती है। जेटली जैसे सुपरमैन ताकत वाले भी उसके साथ इंसाफ नहीं कर सकते।मोदी ने इंस्टिट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज के प्रोग्राम में जीडीपी ग्रोथ, एफडीआई, रोजगार पर स्पीच दी थी। GDP पर मोदी ने कहा क्या आपको लगता है कि देश में पहली बार किसी क्वॉर्टर में जीडीपी की दर 5.7% पर पहुंची है।
पिछली सरकार में 8 बार ऐसे मौके आए, जब विकास दर 5.7% या उससे नीचे गिरी थी। देश की अर्थ व्यवस्था ने ऐसी तिमाही भी देखी है, जब विकास दर 0.2 फीसदी, 1.5 फीसदी तक गिरी थी। रिजर्व बैंक ने उम्मीद जताई है कि नेक्स्ट क्वॉर्टर्स में 7.7 तक वृद्धि जाएगी।ग्रोथ पर मोदी बोले, “देश में जून के बाद 2 महीनों में महीने के बाद पैसेंजर कारों की बिक्री में अगर 12 फीसदी वृद्धि हुई है तो आप उसे क्या कहेंगे?
जब आपको पता चलेगा कि जून के बाद कमर्शियल गाड़ियों की बिक्री में 23% से ज्यादा वृद्धि हुई है, दोपहिया वाहनों की बिक्री में 14% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, डोमेस्टिक एयर ट्रैफिक में 14% की वृद्धि दो महीनों में हुई है। हवाई जहाज के जरिए माल ढुलाई में 16% की वृद्धि हुई है, टेलीफोन सब्सक्राइबर में 14% से ज्यादा वृद्धि हुई है। ग्रामीण डिमांड को देखें तो ट्रैक्टर की बिक्री में 34% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है।