भोपाल में तीन तलाक को लेकर महिलाओं ने किया प्रदर्शन

इकबाल मैदान में हुए जलसे में मुस्लिम महिलाओं ने हाथ उठाकर कहा कि दीन (धर्म) और शरियत में दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन शरियत की व्यवस्था बेहतर है। तलाक शरियत का ही एक हिस्सा है। देश में धार्मिक स्वतंत्रता के तहत मुस्लिम पर्सनल लाॅ पर अमल करने का हमें जो हक मिला है, उसे बरकरार रखा जाए।

बोर्ड की वुमन विंग की मुखिया डॉ. असमा जोहरा ने कहा कि शरियत में इंसाफ का मुकाम है। महिलाएं न मजलूम हैं, न कमजोर। यह पुरातन दृष्टिकोण है।सुनियोजित तरीके से दीन को बदनाम करने की कवायद चल रही हैं। इस्लाम और शरियत के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। सब्र और सुकून से शरियत को थामने की जरूरत है।

बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद राबे हसन नदवी ने कहा कि कई लोगों के बीच शरियत को लेकर भ्रम है। हम चाहते हैं कि शरियत पर कुछ कहने से पहले आलोचना करने वाले इसे समझें।अल्लाह ने दीन को मुकम्मल बनाया है। इसमें संशोधन नहीं हो सकता।आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महिलाओं जलसे में सोमवार को महिलाओं ने अल्लाह हो अकबर के नारे लगाए।

इकबाल मैदान के इतिहास में यह पहला मौका था, महिलाओं ने नारे लगाकर अपने इरादों का इजहार किया हो। जलसा तीन तलाक के मसले को लेकर आयोजित किया गया था।चार घंटे तक चले जलसे में ज्यादातर महिलाएं पर्दानशीं दिखाई दीं। इनमें कई हाईली एजुकेटेड महिलाएं भी थीं। कुछ अपने बच्चों को साथ में लाई थीं।

जलसा शुरू होने के पूर्व में कुरान की आयतें गूंजी तो समापन सामूहिक दुआ के साथ हुआ। वहीं, शरियत में दखल नहीं करने के लिए महिलाओं ने राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम एक ज्ञापन भी मौलाना मोहम्मद राबे हसन नदवी और महासचिव मौलाना वली रहमानी को सौंपा।

इसके पहले शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी और बोर्ड के सदस्य आरिफ मसूद ने महिलाओं को दीन की अहमियत समझाई।डॉ. जेहरा ने कुरान की आयतों और हदीस के हवाले से महिलाओं को उनके अधिकार, फर्ज और ताकत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि पूरे देश में अब महिलाओं में धार्मिक जागरूकता लाने वाले कई प्रोग्राम आयोजित किए जाएंगे।

राबे हसन नदवी ने महिलाओं से मजहब को पहचाने को कहा।शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी ने कहा कि आखिरत में मां के नाम से बंदे को पुकारा जाएगा। मां की दुआ ही बंदे को जहन्नुम की आग से बचाएगी।उन्होंने शादियों में फिजूलखर्ची को लेकर भी समझाइश दी। साथ ही दहेज न लेने और न देने को भी कहा। वहीं, ताजुल मसाजिद दारुल उलूम के मुखिया सिराज मियां ने सामूहिक रूप से दुआ कराई।

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