अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार से अपील की है कि वो अब प्राइवेट प्रैक्टिस पर फोकस करना चाहते हैं। बता दें कि रोहतगी तीन साल से देश के अटॉर्नी जनरल हैं। न्यूज एजेंसी से बातचीत में अटॉर्नी जनरल ने कहा- मैंने सरकार को लेटर लिखकर बता दिया है कि मैं री-अप्वॉइंटमेंट नहीं चाहता। बता दें कि अटॉर्नी जनरल देश का सबसे बड़ा लॉ ऑफिसर होता है।
रोहतगी ने ये भी कहा कि वो अब अपना वक्त प्राइवेट प्रैक्टिस को देना चाहते हैं।मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद मई 2014 में रोहतगी को अटॉर्नी जनरल जनरल बनाया था। तब से वो लगातार इस पोस्ट पर हैं। उनका तीन साल का टर्म भी पूरा हो चुका है।अटॉर्नी जनरल ने कहा- मुझे लगता है तीन साल का वक्त काफी होता है और अब मैं प्राइवेट प्रैक्टिस करना चाहता हूं।
अटॉर्नी जनरल जनरल रहते हुए रोहतगी ने NJAC समेत कई अहम मामलों में सरकार की तरफ से पैरवी की। इनमें ट्रिपल तलाक का मुद्दा भी है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने वाला है।इस महीने की शुरुआत में सरकार ने रोहतगी का टैन्योर अगले ऑर्डर तक के लिए बढ़ा दिया था। रोहतगी दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अवध बिहारी रोहतगी के बेटे हैं।
2002 के गुजरात दंगों में वो गुजरात सरकार की तरफ से पैरवी कर चुके हैं।इसके अलावा बेस्ट बेकरी और जाहिरा केस में भी रोहतगी ने ही गुजरात सरकार की पैरवी की थी।2012 में इटली के दो मरीन्स ने केरल के समुद्री इलाके में दो भारतीय मछुआरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में रोहतगी ने इटली सरकार की तरफ से पैरवी की थी। टू जी स्कैम में भी वो बड़े कॉर्पोरेट घरानों के तरफ से दलीलें पेश कर चुके हैं।