ईडी ने अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में कथित बिचौलिया क्रिस्टियन मिशेल जेम्स और दो अन्य के खिलाफ एक ताजा चार्जशीट दाखिल किया है। इससे पहले 9 जून को मामलों की जांच में तेजी लाने के लिए सीबीआई गुजरात कैडर के एक आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन कर चुकी है। यह एसआईटी इस बात की जांच करेगा कि वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे के लिए किन-किन लोगों को रिश्वत दी गई है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 3600 करोड़ रूपए के वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदे में धनशोधन के सिलसिले में एक नया आरोप पत्र दाखिल किया है जो ब्रिटिश नागरिक और कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स तथा उनके कुछ भारतीय सहयोगियों की भूमिका से संबंधित है। करीब 1300 पृष्ठ की अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र के लिए ईडी के समतुल्य) विशेष धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) अदालत के समक्ष इसी हफ्ते पेश की गयी।
इसमें कहा गया है कि एजेंसी की जांच में सामने आया है कि मिशेल को अगस्ता वेस्टलैंड से तीन करोड़ यूरो (करीब 225 करोड़ रूपए) मिले। इसमें कहा गया है कि यह राशि वास्तविक लेनदेन की आड़ में कंपनी द्वारा दी गयी ‘रिश्वत’ है जो कंपनी के पक्ष में 12 हेलकीप्टरों का सौदा कराने के लिए दी गयी।
एजेंसी सूत्रों ने बताया कि अदालत के जल्दी ही पूरक आरोप पत्र पर संज्ञान लेने की संभावना है। इस मामले में ईडी और सीबीआई तीन बिचौलियों की जांच कर रही हैं जिनमें मिशेल के अलावा जी हश्के और कालरे गेरोसा शामिल हैं। दोनों एजेंसियों ने अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करने के बाद मिशेल के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस या वैश्विक गिरफ्तारी वारंट अधिसूचित किए हैं।
यह घोटाला भारत में तब सुर्खियों में आया जब इटली के एयरोस्पेस और डिफेंस निर्माण से जुड़ी कंपनी फिनमेक्कनिका के पूर्व मुखिया ओरसी को स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया। ओरसी पर भारत सरकार से एक सौदा हासिल करने के लिए कथित तौर पर 362 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप लगा। दरअसल, मार्च, 2012 में भारत सरकार ने 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों के ऑर्डर दिए।