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हामिद अंसारी ने विजय माल्या का इस्तीफा नामंजूर किया

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विजय माल्या का राज्यसभा से निष्कासित होना तय नजर आ रहा है क्योंकि राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने मंगलवार को उनका इस्तीफा प्रक्रियागत आधार पर अस्वीकार कर दिया और आचार समिति ने भी इसे खारिज कर दिया है। अंसारी के ओएसडी गुरदीप सिंह सप्पल ने राज्यसभा महासचिव के पत्र का उल्लेख करते हुए ट्विटर पर कहा, ‘हामिद अंसारी, सभापति, राज्यसभा, विजय माल्या का इस्तीफा स्वीकार नहीं करते। महासचिव राज्यसभा ने माल्या को लिखा है कि उनका त्यागपत्र प्रक्रियाओं के अनुरूप नहीं है और इस पर वास्तविक हस्ताक्षर नहीं हैं।’ उन्होंने कहा, ‘राज्यसभा प्रक्रियाओं के नियम 213 के अनुरूप त्यागपत्र स्वेच्छापूर्ण और वास्तवकि होना चाहिए।’

माल्या 9,400 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण बकाये का सामना कर रहे हैं। उन्होंने खुद को उच्च सदन से निष्कासित किए जाने से बचने के प्रयास के तहत ब्रिटेन में अपने निवास से अपने इस्तीफे की स्कैन की हुई प्रति यह कहते हुए भेजी थी कि वह नहीं चाहते कि उनके ‘नाम तथा प्रतिष्ठा पर और कीचड़ उछाला जाए।’ आचार समिति जब उनके निष्कासन की सिफारिश करने वाली थी, उससे एक दिन पहले उन्होंने कहा, ‘क्योंकि हालिया घटनाक्रम यह दर्शाते हैं कि मुझे निष्पक्ष मुकदमा या न्याय नहीं मिलेगा, मैं तत्काल प्रभाव से राज्यसभा के सदस्य के रूप में इस्तीफा दे रहा हूं।’ राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों ने बताया कि माल्या के हस्ताक्षर स्कैन किये हुए थे और नियमों के अनुरूप नहीं थे।

सूत्रों ने बताया कि उच्च सदन की कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली आचार समिति, जिसकी आज बैठक हुई, उसने भी उनके इस्तीफे को खारिज करते हुए गलत प्रक्रिया का जिक्र किया। समिति के सदस्यों ने ऋण डिफॉल्ट के बारे में माल्या के जवाब पर भी असंतोष जताया। सदस्यों का मत था कि राज्यसभा सदस्य के रूप में माल्या का आचरण अनुचित है। सूत्रों ने बताया कि समिति कल राज्यसभा के समक्ष अपनी रिपोर्ट रखेगी।

किसी भी सांसद की सदस्यता खत्म करने के लिए सदन में समिति द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव लाया जाना होता है। राज्यसभा में माल्या का यह दूसरा कार्यकाल है और इसे एक जुलाई को खत्म होना था। समिति के अध्यक्ष कर्ण सिंह ने बैठक के बाद हालांकि, यह कहकर विस्तृत ब्यौरा देने से इनकार कर दिया कि समिति का प्रमुख होने के नाते बैठक में हुए फैसले के बारे में घोषणा करना उनके लिए उचित नहीं होगा।

माल्या ने उनके निष्कासन पर आचार समिति द्वारा फैसला किए जाने से एक दिन पूर्व कल फैक्स के जरिए राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को अपना इस्तीफा भेज दिया था। उनके निष्कासन के मुद्दे पर समिति की 25 अप्रैल को हुई विगत बैठक में आम सहमति थी। सिंह ने आगे कहा कि आज की बैठक में किए गए फैसले पर भी आम सहमति थी।

यह पूछे जाने पर कि जब माल्या पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं तो क्या समिति के पास अब कोई गुंजाइश बची है, सिंह ने कहा, ‘नि:संदेह गुंजाइश है। इस्तीफा स्वीकार होने तक वह अब भी सदन के सदस्य हैं।’नियमों के मुताबिक अगर कोई सदस्य राज्यसभा से इस्तीफा देना चाहता है तो उसे अपने हाथ से लिखा त्यागपत्र सभापति तक पहुंचाना होता है। सरकार ने माल्या की भारत वापसी के लिए कार्यवाही शुरू करते हुए माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया है।

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