भारत छोड़ चुके हैं विजय माल्या : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट में एटॉर्नी जनरल ने कहा कि 2 मार्च को ही विजय माल्या भारत छोड़ चुके हैं. बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट से विजय माल्या का पासपोर्ट जब्त करने और सुनवाई के लिए कोर्ट में बुलाए जाने की मांग की है.सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से कहा है कि वो विजय माल्या को नोटिस भेज सकते हैं और उनको भारत आने के लिए कह सकते हैं.इससे पहले सोमवार को डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया था कि लोन डिफॉल्ट केस पर फैसला होने तक विजय माल्या डियाजियो से मिलने वाले 7.5 करोड़ डॉलर की राशि नहीं ले सकते. इसके अलावा विजय माल्या के खिलाफ ईडी ने भी मनी लॉन्डरिंग के केस में जांच शुरू कर दी है.

माल्या को 2 हफ्ते के भीतर जवाब देना होगा. मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी.एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, माल्या अपने स्टाफ के भी कॉन्टैक्ट में नहीं हैं.उनके स्पोक्सपर्सन ने कहा कि कुछ दिन पहले माल्या ईमेल से कॉन्टैक्ट कर रहे थे, लेकिन अब उनकी कोई जानकारी नहीं है.माल्या ने कुछ दिन पहले ही यूबी ग्रुप से रिटायरमेंट के बाद लंदन में सैटल होने की बात कही थी.

सुप्रीम कोर्ट में सरकारी बैंकों की तरफ से एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने माल्या के केस में तुरंत सुनवाई की गुजारिश की थी.इसे चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने मान लिया.बैंकों को माल्या और साढ़े तीन साल से बंद पड़ी उनकी किंगफिशर एयरलाइंस से करीब 7,800 करोड़ रुपए वसूलने हैं.इसमें एसबीआई के सबसे ज्यादा 1,600 करोड़ रुपए हैं.किंगफिशर या माल्या ने 2012 से इस कर्ज पर न तो ब्याज दिया है और न ही प्रिंसिपल अमाउंट लौटाया है.

इस बीच कंपनी मामलों के मंत्रालय के तहत काम करने वाले सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने भी माल्या और किंगफिशर की जांच शुरू कर दी है.एसएफआईओ इस बात की जांच करेगा कि किंगफिशर ने कर्ज के पैसे का कहीं और इस्तेमाल तो नहीं किया? इससे पहले सोमवार को ईडी ने भी मनीलॉन्ड्रिंग कानून के तहत माल्या के खिलाफ केस दर्ज किया था.इसमें किंगफिशर के सीएफओ ए.रघुनाथन और आईडीबीआई बैंक के कई अनाम अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया. बैंक अधिकारियों पर आरोप है कि किंगफिशर को ब्लैकलिस्ट किए जाने के बाद भी उन्होंने 900 करोड़ रुपए का कर्ज दिया.

सीबीआई ने भी इस मामले में एफआईआर दर्ज कर रखी है.कर्ज रिकवरी ट्रिब्यूनल ने सोमवार को ही डियाजियो कंपनी की तरफ से माल्या को 7.5 करोड़ डॉलर (515 करोड़ रु.) देने पर रोक लगा दी थी.डियाजियो यूनाइटेड स्पिरिट्स का चेयरमैन पद छोड़ने के एवज में माल्या को यह पैसा देने पर राजी हुई थी.ट्रिब्यूनल ने स्टेट बैंक के कर्ज डिफॉल्ट का मामला सुलझने तक यह रोक लगाई है.

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