नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन रद्द किया

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नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र को लगातार दूसरे दिन फटकार लगाते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के फैसले को रद्द कर दिया है.उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा कि वो अदालत से खिलवाड़ नहीं कर सकती. फैसले के बाद ही हरीश रावत के घर के बाहर जश्न शुरू हो गया.हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल तक हरीश रावत को बहुमत साबित करने का आदेश दिया है.हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र ने गलत तरीके से काम किया. इसके साथ ही कोर्ट ने स्पीकर के दोहरे रवैया की भी आलोचना की.

हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशानिर्देश दिए हैं उसके हिसाब से उत्तराखंड में धारा 356 का लागू किया जाना कानून के विरुद्ध था.कांग्रेस के बागी विधायक भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)  के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में थे. भाजपा  विधायक दल के नेता अजय भट्ट के साथ पार्टी के 26 विधायक तथा नौ बागी कांग्रेसी विधायकों ने 18 मार्च को राज्यपाल से मिलकर राज्य सरकार  को भंग करने की मांग की थी.

उल्लेखनीय है कि 18 मार्च बजट सत्र के आखिरी दिन विनियोग विधेयक पारित होने के दौरान कृषि मंत्री हरक सिंह रावत अचानक नाटकीय रूप से अध्यक्ष के आसन के सामने आ गये और बजट पर मत विभाजन की मांग करने लगे लेकिन श्री कुंजवाल ने इसे ध्वनिमत से पारित मानकर सत्र 28 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया था.

इसके बाद हरक सिंह रावत के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, सुबोध उनियाल, अमृता रावत, शैला रावत, प्रणव सिंह, उमेश शर्मा, शैलेन्द्र मोहन सिंह सिंघल और प्रदीप बा समेत नौ कांग्रेस विधायक भाजपा विधायकों के साथ अध्यक्ष के आसन के सामने आकर सदन में उपस्थित सदस्यों की संख्या के आधार पर मत विभाजन पर अड़ गये.

बाद में भाजपा के 35 और कांग्रेस के नौ विधायक एक ही बस में बैठ कर 18 मार्च की रात राज्यपाल से मिलने गये. राज्यपाल से मिलने के बाद सभी विधायक  दिल्ली गये.उत्तराखंड में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राज्य में 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगाने की मंजूरी दे दी थी.

गौरतलब है कि राज्य के राजनीतिक संकट पर विचार के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मार्च की देर रात मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई थी. राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने वहां राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की सिफारिश की थी, जिस पर राष्ट्रपति ने 27 मार्च को मुहर लगा दी थी.

हाईकोर्ट के इस फैसले के साथ ही कांग्रेस खेमे में खुशी की लहर दौड़़ गई. दूसरी ओर अभी ऐसे इशारे मिल रहे हैं कि केंद्र सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे देगी.सुनवाई के दौरान अदालत ने ये भी कहा कि एक हफ्ते तक वो राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाए. कोर्ट ने ये भी कहा कि हम किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे.

साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि वह इस बात से दुखी है कि भारत सरकार इस तरह बर्ताव कर रही है और साफ नहीं कर रही है कि वह राष्ट्रपति शासन हटाने की कार्रवाई स्थगित कर सकती है या नहीं.  अदालत की इन टिप्पणियों से कांग्रेसी खेमे में ख़ुशी का माहौल बन गया था.उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर केंद्र को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने केंद्र की दलीलों को नकारते हुए कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. 

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