उत्तराखंड में विधानसभाध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने शनिवार देर रात कांग्रेस के बागी 9 सदस्यों की सदस्यता रद्द कर दी। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस के बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश विधानसभा स्पीकर से की थी। रावत ने कहा था कि राज्य सरकार को गिराने के लिए बागी विधायक भाजपा से मिल गए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उत्तराखंड में धारा 144 भी लगा दी गई है।
उत्तराखंड की स्थिति पर विचार करने के लिए शनिवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के विकल्प पर विचार की अटकलों की पृष्ठभूमि में यह बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के असम से वापस लौटते ही कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक से पहले भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट की और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करते हुए कहा कि स्टिंग ऑपरेशन के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
स्टिंग में रावत 28 मार्च को होने वाले विश्वास मत के दौरान बहुमत साबित करने के लिए पार्टी के बागी विधायकों के साथ सौदेबाजी करते नजर आ रहे हैं।वहीं, कांग्रेस के बागी विधायकों ने आरोप लगाया कि उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से रिश्वत की पेशकश की गयी है ताकि वे 28 मार्च को सदन में शक्ति परीक्षण के दौरान उनका साथ दें। उन्होंने मुख्यमंत्री के ‘स्टिंग ऑपरेशन’ का एक वीडियो भी साझा किया, हालांकि रावत ने उसे फर्जी बताया। विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुंजवाल की ओर से दल-बदल कानून के तहत कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को जारी किए गए नोटिस पर जवाब देने का समय शनिवार शाम खत्म हो गया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का ‘डर्टी ट्रिक्स डिपोर्टमेंट’ काम पर लगा हुआ है, वहीं भगवा पार्टी ने रावत सरकार को ‘तुरंत बर्खास्त’ करने की मांग की है। अब सभी की नजरें अध्यक्ष के फैसले पर टिकी हुई हैं, जो रावत सरकार के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। रावत सरकार को सोमवार को सदन में अपना बहुमत साबित करना है।यदि अध्यक्ष कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को दल-बदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करते हैं तो उनकी सदन की सदस्यता समाप्त हो जाएगी। ऐसे में विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या 70 से घटकर 61 रह जाएगी।