उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानपुर में मेट्रो ट्रेन के ट्रायल रन को दिखाई हरी झंडी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कानपुर में कानपुर मेट्रो का ट्रायल रन शुरू किया। मुख्यमंत्री मेट्रो ट्रेन के परीक्षण के लिए बटन दबाया जो न केवल निर्बाध कनेक्टिविटी स्थापित करने में मदद करेगा और शहर भर में वाहनों की भीड़ को कम करने के साथ ही क्षेत्र के विकास को भी बढ़ावा देगा।

ट्रायल रन के आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री मेट्रो के डिब्बों में उपलब्ध सुविधाओं के साथ ही प्लेटफॉर्म की व्यवस्था का भी निरीक्षण करेंगे।
कानपुर मेट्रो रेल परियोजना का निर्माण कार्य योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा 15 नवंबर, 2019 को शुरू किया गया था।

कानपुर मेट्रो रेल परियोजना को महामारी के बावजूद दो साल से भी कम समय में पूरा किया गया है।सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक पहले चरण में 9 किलोमीटर के प्रायोरिटी कॉरिडोर पर मेट्रो चलेगी।अब तक 9 मेट्रो स्टेशनों का निर्माण किया जा चुका है।

मेट्रो के दूसरे चरण का काम मोती झील और ट्रांसपोर्ट नगर के बीच किया जाएगा, जिसके लिए अंडरग्राउंड स्टेशन बनाए जाएंगे।परीक्षण अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) की सख्त निगरानी में किए जाएंगे।

इस योजना के मुताबिक, पूरी तरह से चालू होने पर छह मेट्रो ट्रेनें आईआईटी और मोती झील के बीच प्रायोरिटी कॉरिडोर पर चलेंगी और दो ट्रेनें रिजर्व के तौर पर डिपो में खड़ी रहेंगी। वाणिज्यिक परिचालन शुरू होने तक छह और ट्रेनें शहर में शुरू की जाएंगी।

कानपुर मेट्रो रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक से लैस होगी। इससे 35 फीसदी तक बिजली की बचत होगी। यानी अगर ट्रेन के संचालन में 1000 यूनिट बिजली खर्च की जाती है, तो रीजेनरेटिव ब्रेकिंग के जरिए ट्रेनें फिर से लगभग 350 यूनिट बिजली पैदा करेंगी। इसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जाएगा।

स्टेशनों और डिपो में लगे लिफ्ट भी रीजेनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक से ऊर्जा बचाने में सक्षम होंगे। इनकी ऊर्जा दक्षता 37 प्रतिशत तक होगी। ऊर्जा और बिजली के संरक्षण के लिए मेट्रो परिसर को भी एलईडी लाइट से सुसज्जित किया गया है।इसके अलावा मेट्रो डिपो और स्टेशनों पर सोलर पैनल लगाने की योजना भी तैयार की गई है।

भारत में पहली बार कानपुर मेट्रो थर्ड रेल डीसी ट्रैक्शन सिस्टम के साथ आएगी। विशेष इन्वर्टर, जो ट्रेन में ब्रेक से उत्पन्न ऊर्जा को सिस्टम में वापस उपयोग करने में सक्षम करेगा। अभी तक देश में किसी भी मेट्रो रेल परियोजना में ऐसी कोई व्यवस्था लागू नहीं की गई है। यह ट्रेन पर्यावरण की सुरक्षा और प्रबंधन के लिहाज से भी खास है।

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