संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को भेजा रोष पत्र

कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन को स्थगित हुए कई महीने बीत चुके हैं, लेकिन किसानों और सरकार के बीच हुए समझौते पूरा न हो पाने के कारण संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक पत्र लिख रोष व्यक्त किया है। एसकेएम के मुताबिक, मोर्चा उठाये जाने के बाद से किसानों से लगातार हो रही वादाखिलाफी के खिलाफ यह रोष पत्र है।

साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने पत्र में फिर से आंदोलन शुरू करने की चेतावनी भी दी है। एसकेएम ने लिखा है कि, आपके माध्यम से हम सरकार को चेतावनी देते हैं की वो किसान के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे। संयुक्त किसान मोर्चा ने 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी सप्ताह आयोजित करने का फैसला किया है।

अगर तब तक भी सरकार अपने आश्वासन पर अमल नहीं करती है तो किसानों के पास आंदोलन को दोबारा शुरू करने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचेगा।हम आपसे फिर अनुरोध करते हैं कि आप केंद्र सरकार को उसके लिखित वादों की याद दिलाएं और इन्हे जल्द से जल्द पूरा करवाएं तथा लखीमपुर खेरी कांड में न्याय सुनिश्चित करवाएं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने पत्र में आगे लिखा है कि, एसकेएम ने सरकार के आश्वासन पर भरोसा कर दिल्ली बॉर्डर से अपने मोर्चे उठाने का ऐलान किया, उसके बाद से सरकार अपने वादों से मुकर ही नहीं गयी है बल्कि किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम भी कर रही है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के नाम एक पत्र में वादा किया था कि देश के किसानों को एमएसपी मिलना कैसे सुनिश्चित किया जाय, इसपर एक कमिटी बनायी जाएगी।अब तक सरकार ने न तो कमेटी के गठन की घोषणा की है, और न ही कमेटी के स्वरूप और उसकी मैंडेट के बारे में कोई जानकारी दी है।

सरकार का वादा था कि आन्दोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे तत्काल प्रभाव से वापिस लिये जायेंगे। अब तक सिर्फ हरियाणा सरकार ने कुछ कागजी कार्यवाई की है और केस वापस लेने के कुछ आदेश जारी किए हैं। लेकिन हरियाणा में भी यह काम अधूरा है, किसानों को अब भी समन आ रहे हैं।

दिल्ली पुलिस ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी की वह 54 में से 17 केस वापस लेगी, लेकिन अभी तक न कोई सूचना है की कौन से के वापस लिए जायेंगे, न ही कोई सफाई है की बाकी केस वापिस क्यों नहीं होंगे। रेलवे द्वारा देश भर में रेल रोको के दौरान किसानों पर लगाए मुकदमे वापस नहीं हुए हैं। ऐसे ही अन्य राज्यों के हाल हैं।

पत्र में आगे कहा गया कि, आन्दोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर अभी तक न तो किसी औपचारिक निर्णय की घोषणा नहीं हुई है। अपने वादे पूरे करने की बजाय सरकार ने इस बीच किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है।इसी तरह एसकेएम ने लखीमपुर खीरी हिंसा का मामला भी उठाया है। किसानों के मुताबिक अभी भी किसानों को पुलिस गिरफ्तार कर रही है और इन किसानों को जमानत नहीं मिली है।

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