किसान आंदोलन को खत्म करने को लेकर आज लेगा संयुक्त किसान मोर्चा आखिरी फैसला

आंदोलन को लेकर आज किसान एक बड़ा फैसला कर सकते हैं। सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मिलते ही किसान आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर देंगे।दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चे की 5 सदस्यीय समिति ने आपात बैठक बुलाई है जो संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक से पहले होगी।

संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और नरेंद्र सिंह तोमर से अलग-अलग मुलाकात कर कृषि संबंधी अपने लंबित मुद्दों पर चर्चा कर सकती है। एक किसान नेता ने यह जानकारी दी।दोनों मंत्रियों के साथ संभावित चर्चा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम की दोपहर दो बजे से निर्धारित बैठक से कुछ घंटे पहले होगी।

प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों के शीर्ष संगठन एसकेएम के सदस्यों ने आंदोलन के भविष्य का फैसला करने के लिए बुधवार को सिंघू बॉर्डर पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है।पहचान जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए एक वरिष्ठ किसान नेता ने न्यूज एजेंसी को बताया एसकेएम की पांच सदस्यीय समिति की आज सुबह एक आंतरिक बैठक होगी और फिर वे किसानों के मुद्दों और लंबित मांगों पर चर्चा करने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने वाले हैं।

यह उम्मीद लगाई जा रही है कि इनके फैसला करने के बाद मोर्चे के अलग किसान संगठनों के सामने बात रखी जाएगी, उसके बाद किसानों की सहमति लेने के बाद आगे की कोई घोषणा होगी।दरअसल किसान आंदोलन वापस लेते ही किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों के मुताबिक, सरकार उसपर काम करना शुरू करे हम आंदोलन को लेने की घोषणा कर देंगे।

किसानों द्वारा सरकार को इन बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है, यदि सरकार की तरफ से इसपर स्पष्टीकरण दे दिया जाएगा तो कुछ अहम फैसला किसान ले लेंगे।दरअसल कृषि कानून वापसी लेने के बाद भी किसानों ने अपनी कुछ अन्य मांगे सरकार के सामने रखी, इसके बाद सरकार की ओर से इन अधिकतर मांगों को भी मान लिया गया है।

हालांकि इसमें कोई शक नहीं सरकार कहीं न कहीं विधानसभा चुनावों से पहले किसानों की मांगों को मान यह आंदोलन खत्म कराना चाहती है। इसी वजह से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संयुक्त किसान मोर्चा को एक मसौदा प्रस्ताव भेजा है, जिसमें मुआवजे, एमएसपी और पुलिस द्वारा दर्ज मामलों को वापस लेने की किसानों की अधिकांश मांगों को कुछ शर्तों के साथ स्वीकार कर लिया गया था।

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