ट्विटर 2015 से अब तक आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले 10 लाख से ज्यादा अकाउंट्स को बंद कर चुका है। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ने एक स्टेटमेंट जारी कर दावा किया कि हिंसा का प्रसार करने वालों के लिए ट्विटर नहीं बना है और ऐसे लोगों को हटाने के प्रयास शुरू किए जा चुके हैं।
ताजा ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट के मुताबिक, ट्विटर ने पिछले साल जुलाई से दिसंबर के बीच प्लेटफॉर्म पर आतंक को बढ़ावा देने वाले करीब 3 लाख अकाउंट्स सस्पेंड कर दिए। इस कदम के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट ने कहा- हमारी मेहनत रंग लाई।
ट्विटर की पब्लिक पॉलिसी टीम ने बयान जारी कर कहा आतंक को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ हमारी कड़ी मेहनत का काफी प्रभाव हुआ है। बीते कुछ सालों में ट्विटर पर इस तरह की हरकतें घटी हैं।
ट्विटर के मुताबिक, हालिया 6 महीनों में ट्विटर ने जो अकाउंट सस्पेंड किए हैं, उनमें से ज्यादातर खुद प्लेटफॉर्म के इंटरनल टूल्स के जरिए पहचाने गए थे। ज्यादातर चिन्हित अकाउंट्स को उनके पहले ट्वीट से पहले ही डिलीट कर दिया गया था।
बीते कुछ समय में ट्विटर पर कई देशों की सरकारों ने आतंकियों और हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाया। इसी दौरान प्लेटफॉर्म पर आजाद विचारों के लिए खुला मंच बनने की चुनौती भी थी।
स्टेटमेंट में दावा किया गया है कि सरकार की रिपोर्ट्स में ट्विटर पर आतंक को बढ़ावा देने वाले अकाउंट्स के जितने भी रिकॉर्ड्स हैं, वे सस्पेंड किए गए अकाउंट्स का 0.2% से भी कम हिस्सा हैं।
ट्विटर ने रिपोर्ट में आनलाइन मीडिया पर मिलने वाली अभिव्यक्ति की आजादी पर कानूनी खतरों पर भी चिंता जताई है। इसमें कहा गया है कि जिस तरह से दुनियाभर के देश सोशल मीडिया में होने वाली खुली चर्चा पर नए कानून लाने की बात कह रहे हैं, उससे अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार खतरे में पड़ सकता है।
रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वाॅच की उस रिपोर्ट का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि दुनियाभर में सरकारें सोशल मीडिया पर मिलने वाली अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम लगाने के लिए लगातार कदम उठा रही हैं। इसके लिए सरकारें सोशल मीडिया कंपनियों को अपने नियंत्रक (सेंसर) की तरह काम करने के लिए कह रही हैं।