आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है गंगा दशहरा पर्व

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गंगा दशहरा का महापर्व मंगलवार को मनाया जा रहा है। ज्येष्ठमाह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाता है और इसी दिन देवी गंगा धरती पर आईं थीं। इस दिन दान-पुण्य और गंगा स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है की इसी दिन गायत्री मंत्र का प्रकटीकरण भी हुआ था। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 14 जून को गंगा दशहरा पर दशमी तिथि का शुभ योग मंगलवार सुबह 5.45 से लेकर बुधवार सुबह 7.35 बजे तक रहेगा।

मान्‍यता है कि मां गंगा में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैसे तो गंगा स्नान का अपना अलग ही महत्व है लेकिन गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से मनुष्य सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है।ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार 10 विशेष योग बन रहे हैं, जिसमें से छह की प्रधानता है। इस दौरान गुरु, गंगा, शिव, ब्रह्मा, सूर्य और हिमालय का पूजन विशेष फलदायी है। गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से 10 प्रकार के पाप कट जाते हैं।

स्कंदपुराण के अनुसार गंगा दशहरा के दिन व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए। इससे वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी अधिक महत्व है। ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मनाए जाने वाले इस पर्व पर गंगा तट पर लोग का सैलाब देखा जा सकता है। यह दिन सबसे पुण्यकारी व फलदायी है। मंदिरों में गंगा दशहरा पर पूजन के साथ ही भगवान शिव का अभिषेक कर प्रसाद का वितरण किया जाता है।

इस दिन गंगा में खड़े होकर जो गंगा स्तोत्र पढ़ता है वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है। स्कंद पुराण में दशहरा नाम का गंगा स्तोत्र दिया हुआ है। इस दिन दान-पुण्य करने का अधिक महत्व है। इस दिन 10 वस्तु का दान करना चाहिए। दस अंक का आज अधिक महत्व होता है। इससे अधिक फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा-पाठ और स्नान करने से आपके सभी पापों का नाश हो जाता है।

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