आज 37 हजार करोड़ रुपए की एस-400 डील पर लग सकती है मुहर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच दिल्ली के हैदराबाद हाउस में औपचारिक चर्चा होगी। दोनों नेता 19वीं भारत-रूस सालाना समिट में भी हिस्सा लेंगे। दोनों देशों के बीच 20 समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। इनमें सबसे अहम एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील पर मुहर लग सकती है।

पुतिन शाम नई दिल्ली पहुंचे थे। एयरपोर्ट पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उनकी अगवानी करने पहुंचीं। बाद में मोदी ने भी अपने सरकारी आवास 7, लोक कल्याण मार्ग में पुतिन का स्वागत किया और उन्हें निजी भोज दिया। अगर भारत को एस-400 डिफेंस सिस्टम मिलता है तो यह काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) का उल्लंघन माना जाएगा।

इसके तहत अमेरिकी संसद (कांग्रेस) ने रूस से हथियार खरीदने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। हालांकि, कुछ अमेरिकी सांसदों का कहना है कि इस मामले में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से विशेष छूट मिल सकती है।भारत ने भी संकेत दिए हैं कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदेगा।

हाल ही में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था भारत ने अपनी संप्रभुता बनाए रखी है। इसी के तहत भारत के अन्य देशों से रिश्ते कायम हैं और हम उन्हें बनाए रखेंगे।” रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि भारत के साथ बातचीत में हमारा एजेंडा सैन्य-तकनीकी सहयोग रहेगा।

मोदी और पुतिन के बीच व्यापार, निवेश, संपर्क, ऊर्जा, अंतरिक्ष और पर्यटन जैसे कई मुद्दों पर चर्चा होगी। मोदी मई में रूस के सोची गए थे, जहां पुतिन से उनकी कई मुद्दों पर अनौपचारिक बातचीत हुई थी।एस-400 मिसाइल सिस्टम, एस-300 का अपडेटेड वर्जन है। जमीन से हवा में मार करने वाला यह सिस्टम दुश्मन देशों के लड़ाकू जहाजों, मिसाइलों और ड्रोन को पलक झपकते ही खत्म कर देगा।

रूस ने इस सिस्टम को सीरिया में तैनात कर रखा है। एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइलों और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी 400 किलोमीटर के दायरे में आते ही खत्म कर देगा।डिफेंस सिस्टम एक तरह से मिसाइल शील्ड का काम करेगा। यह पाकिस्तान और चीन की एटमी क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलों से भारत को सुरक्षा देगा।

यह सिस्टम अमेरिका के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 को भी गिरा सकता है। यह सिस्टम 36 परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों को एकसाथ नष्ट कर सकता है। अगर सौदा होता है तो चीन के बाद इस सिस्टम को खरीदने वाला भारत दूसरा देश होगा।

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