राज्यसभा अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित हो गई है। इस वजह से तीन तलाक बिल लटक गया है। सभापति ने विपक्ष और सरकार के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए एक मीटिंग बुलाई थी, जो बेनतीजा रही। इससे पहले सुबह राज्यसभा ने अपने तीन सीनियर मेंबर डॉ. कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी और परवेज हाशमी को विदाई दी।
इन तीनों सदस्यों का कार्यकाल इस महीने की 20 तारीख को पूरा हो रहा है।बता दें कि पति को 3 साल की सजा समेत कुछ अन्य प्रोविजन का विरोध कर रही कांग्रेस समेत 18 पार्टियां इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग पर अड़ी हैं। इनमें एनडीए की सहयोगी और आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी भी शामिल है।
हालांकि, सरकार ने विपक्ष की मांग मानने से इनकार किया है।बहस के दौरान हंगामे के चलते गुरुवार को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी।कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद ने कहा- हम सरकार की मदद कर रहे हैं। हम भी चाहते हैं कि यह बिल आए, लेकिन इसके कुछ प्रावधान मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ हैं।
अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा- कल दो प्रस्ताव थे। एक आनंद शर्मा और सुखेंदु रॉय के। ये साफ है कि जो प्रस्ताव आए वो 24 घंटे पहले आने चाहिए थे, वो नहीं आए। नरेश जी हजारों प्वाइंट ऑफ ऑर्डर उठा चुके हैं, उनकी बहुत समझ है। जो रिजोल्यूशन लाए गए, वो वैलिड नहीं हैं।सिलेक्ट कमेटी ऐसी होनी चाहिए जो हाउस के कैरेक्टर को रिफ्लेक्ट करे।
लेकिन जो प्रपोज्ड की गई है सिलेक्ट कमेटी, वो ऐसा नहीं करती है। किसी कमेटी में अगर वन साइडेड नेम दिए गए हैं, तो वो वैलिड नहीं है। अगर आप बिल को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, तो आप कमेटी में नहीं हो सकते।तीन तलाक पर बहस के दौरान स्मृति ईरानी और डेरेक ओ’ ब्रायन के बीच तीखी नोक-झोंक हुई।
डेरेक ने कहा- विपक्ष महिलाओं को सशक्त करना चाहता है और सरकार ऐसा नहीं चाहती। इसलिए वह बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास नहीं भेज रही है। इससे सरकार की पोल खुल गई है।इसके जवाब में स्मृति ईरानी ने कहा- अगर आप वाकई महिलाओं को सशक्त करना चाहते हैं, तो इस पर बहस करिए।बहस आधा घंटा भी नहीं चली और हंगामा की वजह से सदन की कार्यवाही को शुक्रवार तक स्थगित कर दिया गया।
अरुण जेटली ने कहा कि अचानक बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव पेश कर कांग्रेस सदन की परंपरा तोड़ रही है।उधर, कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी खुद को मुस्लिम महिलाओं के मसीहा के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन दरअसल वह अपने राजनीतिक फायदे के लिए उन्हें मूर्ख बना रही है।
बिल पेश होते ही विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने इसे सिलेक्ट कमेटी को भेजे जाने का प्रस्ताव पेश किया। कमेटी सदस्यों के नाम सुझाए। तृणमूल और सपा के सांसदों ने भी साथ दिया।
1- जेटली:प्रस्ताव वैध नहीं है। न इसे 24 घंटे पहले दिया गया, न ही यह सही फॉर्मेट में है। विपक्ष ने सिलेक्ट कमेटी के सदस्यों के नाम भी सुझा दिए। 1952 के बाद पहली बार विपक्ष की ओर से अमान्य प्रस्ताव आया है।
आनंद शर्मा: विपक्ष ने सभापति से मुलाकात के बाद ही बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव दिया है। व्यवस्था के अनुसार विधायिका की यह जिम्मेदारी है कि वह बिल स्क्रूटनी के लिए कमेटी को भेजे।
2- रविशंकर प्रसाद: विपक्ष इस या उस बहाने से बिल को रोक कर मुस्लिम महिलाओं के साथ इंसाफ नहीं होने देना चाहता।
गुलाम नबी आजाद:हम महिलाओं के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कानून की खामियों को तो दूर करना ही होगा।
3- जेटली: सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक घोषित कर 6 महीने के भीतर संसद को उचित कानून बनाने को कहा है। तब तक तीन तलाक पर रोक लगी रहेगी। यह अवधि 22 फरवरी को खत्म हो रही है। बिल सिलेक्ट कमेटी में नहीं भेज सकते।
कपिल सिब्बल: मैं खुद इस मामले में पैरवी कर रहा था। जेटली ने माइनॉरिटी जजमेंट सुनाया। फाइनल जजमेंट में कहा गया है कि तीन तलाक का बिल जब तक संसद में रहेगा, तब तक इस प्रथा पर पाबंदी रहेगी। बाद में संसद का बनाया कानून अमल में आ जाएगा। जेटली का तर्क बेकार है।इसके बाद विपक्ष प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग करने लगा। उपसभापति पीजे कुरियन ने इनकार कर दिया। हंगामा नहीं थमता देख उन्होंने कार्यवाही स्थगित कर दी।
तीन तलाक से जुड़ा मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लोकसभा 28 दिसंबर को पास कर चुकी है। लेकिन राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है।इस मुद्दे पर टीडीपी के 6 सदस्यों के अलग हो जाने से एनडीए के 74 सांसद ही होते हैं, जबकि यूपीए के 95 और अन्य दलों के व निर्दलीय सांसद 63 हैं।यूपीए अगर साथ नहीं देता है तो बिल पास करवाने के लिए सरकार को छोटे दलों पर निर्भर रहना पड़ेगा।कांग्रेस का दावा है कि 150 सदस्य बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में हैं।