प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना के सर्जिकल स्ट्राइक की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस साल की विजया दशमी देश के लिए बहुत खास है.उन्होंने कहा कि किसी मजबूत देश के लिए बहुत सक्षम सशस्त्र बल जरूरी हैं.नई दिल्ली में विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच प्रधानमंत्री ने कहा आने वाले दिनों में हम विजया दशमी मनाएंगे. इस साल की विजया दशमी देश के लिए बहुत खास है.
प्रधानमंत्री के बयान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक की पृष्ठभूमि में आये हैं. उन्होंने बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक दशहरा पर्व के मौके पर देशवासियों को शुभकामनाएं भी दीं.मोदी ने इस मौके पर जनसंघ के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और सीख पर आधारित 15 पुस्तकों का सार-संक्षेप जारी किया. भाजपा इस वर्ष उपाध्याय का जन्म शताब्दी वर्ष मना रही है.
मोदी ने कहा कि उपाध्याय का सबसे बड़ा योगदान इस तरह की अवधारणा में था कि संगठन आधारित राजनीतिक दल होना चाहिए ना कि कुछ लोगों द्वारा संचालित राजनीतिक संगठन.उपाध्याय को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने एक मजबूत देश के लिए पूर्व आवश्यकता के रूप में असाधारण रूप से मजबूत सेना की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि देश सक्षम होना चाहिए जो आज की जरूरत है.
मोदी ने कहा वह (उपाध्याय) कहते थे कि देश के सशस्त्र बलों को बहुत बहुत सक्षम होना चाहिए, तभी देश मजबूत हो सकता है.उन्होंने कहा यह प्रतिस्पर्धा का समय है, जरूरत है कि देश सक्षम और मजबूत हो.परोक्ष रूप से पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा मजबूत होने का मतलब किसी के खिलाफ होना नहीं होता. अगर हम अपनी मजबूती के लिए अभ्यास करें तो पड़ोसी देश को यह चिंता करने की जरूरत नहीं है कि यह उस पर निशाना साधने के लिए है.
मैं खुद को मजबूत करने और अपनी सेहत के लिए ही तो व्यायाम करता हूं.उपाध्याय का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि राम मनोहर लोहिया भी जनसंघ नेता के प्रयासों की बात करते थे जिसके चलते 1967 में कांग्रेस का एक विकल्प उपजा.प्रधानमंत्री ने कहा कि एकात्म मानववाद की बात करने वाले उपाध्याय को श्रद्धांजलि देने के लिए सरकार अपनी योजनाओं में गरीब से गरीब लोगों पर ध्यान दे रही है.
उन्होंने कहा दीनदयालजी का सबसे बड़ा योगदान संगठन आधारित राजनीतिक दल होने और केवल कुछ लोगों द्वारा संचालित पार्टी नहीं होने की अवधारणा में था. यह जनसंघ और भाजपा की पहचान थी.मोदी ने कहा बहुत कम समय के अंदर एक पार्टी ने विपक्ष से ‘विकल्प’ की यात्रा पूरी की और यह दीनदयालजी की रखी आधारशिला पर पूरी हुई है.
उपाध्याय की विचारधारा की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने ‘कार्यकर्ता निर्माण’ को गति प्रदान की.मोदी ने कहा कि उपाध्याय के विचारों के केंद्र में गरीब, ग्रामीण, किसान, दलित, वंचित लोग रहे और इसलिए यह सरकार उनके जन्म शताब्दी वर्ष समारोहों के दौरान ऐसे वर्गों पर विशेष ध्यान दे रही है.
प्रधानमंत्री ने कहा पंडितजी की पूरी सोच के केंद्रबिंदु में गरीब हैं. वह कहा करते थे कि गरीब हर चीज के केंद्र में होना चाहिए. इसलिए विकास की इस यात्रा में हमारी सरकार गरीबों पर ध्यान दे रही है और उन्हें सशक्त बनाने में मदद कर रही है.उन्होंने कहा यह सरकार पंडितजी के जन्म शताब्दी वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मना रही है. इसी वजह से इस सरकार के निर्णयों में गरीबों पर ध्यान दिया गया है तथा निर्धन केंद्रित योजनाएं और नीतियां बनाई गयी हैं.
मुझे विश्वास है कि इस यात्रा में कोई कमी नहीं रहेगी.इस मौके पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने भारत की सुरक्षा मजबूत करने पर जोर दिया. जोशी ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भारत के प्रयास किसी को हराने के बजाय खुद की रक्षा की जरूरत से प्रेरित हैं.द कम्प्लीट वर्क्स ऑफ दीनदयाल उपाध्याय के विमोचन के मौके पर शाह ने कहा कि जनसंघ के पूर्व अध्यक्ष का दर्शन सार्वजनिक जीवन में रह रहे लोगों के लिए आदर्श है और उन्होंने कई साल पहले जो चेतावनी दी थीं, वे आज दुनिया के सामने खड़ी हैं.
उन्होंने कहा विकास और प्रकृति के बीच संतुलन बनाये रखने की जो अवधारणा उन्होंने रखी थी, वह आज ग्लोबल वार्मिंग और वायु एवं जल प्रदूषण के स्वरूप में हमारे बीच है. अगर दुनिया एकात्म मानववाद के पथ पर आगे बढ़ी होती तो संभवत: दुनिया में मौजूदा समस्याएं नहीं होतीं.संघ के सरकार्यवाह जोशी ने कहा कि कई साल पहले उपाध्याय ने जो विचार रखे थे उन्हें आज दुनिया मानती है.
पुस्तक में दीनदयाल उपाध्याय के जीवन के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का उल्लेख है. इसमें जनसंघ की यात्रा का भी विवरण है. पुस्तक में 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और ताशकंद समझौता आदि का भी उल्लेख है.यह संग्रह उपाध्याय के विभिन्न लेखों, भाषणों, बौद्धिक संवादों का सार-संक्षेप है.यह संग्रह 15 लोगों को समर्पित है जिनमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी हैं.