इस बार बजट में नौकरियों का पिटारा खोलने की तैयारी में मोदी सरकार

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी युवाओं की बेरोजगारी के मुद्दे पर मौजूदा मोदी सरकार को बार-बार घेर रहे हैं. देश के बाहर बहरीन में भी राहुल गांधी बेरोजगारी के मसले पर मौजूदा सरकर के विफल होने का आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में स्वभाविक है कि राहुल गांधी और कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बेरोजगारी के मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरने की कोशिश करेगी.

अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट को माने तो पीएम मोदी ने कांग्रेस के इस नहला दांव पर दहला चाल चलने की तैयारी कर ली है. 2014 के लोकसभा चुनाव में एक करोड़ नौकरियां देने का वादा कर बीजेपी सत्ता में आई थी. बीजेपी अपने इस वादे को पूरा करने के लिए इस बार के बजट में नौकरियों का पिटारा खोलने की तैयारी में है.

अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी सरकार के सामने रोजगार के वादे को पूरा करने के लिए बजट 2018-2019 सुनहरा मौका है. राहुल गांधी ने सोमवार को बहरीन में बसे भारतीय मूल के लोगों से कहा कि पिछले 8 साल में रोजगार देने की गति सबसे कम है. श्रम मंत्रालय की रिपेार्ट में भी कहा गया है कि 2015 में 135,000, 2014 में 421,000 और 2013 में 419,000 में नई नौकरियों के अवसर पैदा हुए थे.

लेबर ब्यूरो की सर्वे रिपोर्ट में भी पिछले 5 साल में बेरोजगारी दर सबसे अधिक होने की बात कही गई है. 2016 में 5%, 2015 में 4.9% और 2014 में 4.7 फीसदी रही.इस साल का आम बजट मोदी सरकार के लिए काफी अहम है. दरअसल, यह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार के सामने आखिरी बजट है जिसके जरिए जनता तक काम और रोजगार का रोडमैप पहुंचाया जा सकता है.

प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी के उस भाषण को याद करें, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी सरकार को तीन साल देश हित में फैसल करने चाहिए. आखिरी एक-डेढ़ साल में सरकारें राजनीति और वोटबैंक को ध्यान में रखकर फैसले लेती है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस बार का आम बजट लोकलुभावन हो सकता है.

पिछले साल के बजट में सरकार ने किसानों और गांव को ध्यान में रखकर योजनाओं का ऐलान किया था. सरकार के सामने दूसरी बड़ी चुनौती की बात करें तो युवाओं की बेरोजगारी को मान सकते हैं. ऐसे मे उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बार के बजट में राष्ट्रीय रोजगार नीति का ऐलान कर सकती है.

इस नीति में अलग-अलग सेक्टरों में नई और अच्छी नौकरियां पैदा करने का रोडमैप होगा.मालूम हो कि भारत में ज्यादातर नौकरियां असंगठित क्षेत्रों में मिलती हैं. राष्ट्रीय रोजगार नीति लागू होने के बाद इस ट्रेंड में बदलाव दिख सकता है. भारत के 90 प्रतिशत कर्मचारी असंगठित क्षेत्र नौकरियां करते हैं, जहां सोशल सिक्यॉरिटी लॉ के तहत नहीं होते हैं.

Check Also

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को दिया एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने का निर्देश

आरबीआई ने सभी क्रेडिट सूचना कंपनियों को 1 अप्रैल, 2023 तक एक आंतरिक लोकपाल नियुक्त करने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *