भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि इस साल मॉनसून में कमी की कोई संभावना नहीं है। इस बात की 96 फीसदी संभावना है कि मॉनसून सामान्य रहेगा और अपनी गति से आगे बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने इससे पहले 15 मई को कहा था कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 7 जून को केरल तट पर पहुंच सकता है। इसमें चार दिनों के ऊपर-नीचे होने की बात भी कही गई थी। पिछले साल मानसून अनुमानित तारीख 30 मई से 6 दिनों की देरी से 5 जून को केरल तट पर पहुंचा था।
कम मॉनसून की संभावना से इंकार करते हुए भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने आज कहा कि 96 फीसदी इस बात की संभावना है कि इस साल सामान्य या अत्यधिक बारिश होगी। दूसरा दीर्घावधि का अनुमान जारी करते हुए मौसम विभाग के महानिदेशक लक्ष्मण सिंह राठौर ने कहा कि पश्चिमोत्तर भारत में दीर्घकालिक औसत का 108 फीसदी बारिस होगी जबकि मध्य भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में एलपीए की 113 फीसदी बारिश होगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र में 94 फीसदी बारिश होगी जो सामान्य से कम है।
एलपीए के 90 फीसदी से कम बारिश को ‘कम’ मॉनसून और एलपीए के 90-96 फीसदी को ‘निम्न मॉनसून’ माना जाता है। अगर एलपीए के 96 से 104 फीसदी के बीच बारिश होती है तो इसे सामान्य मॉनसून माना जाता है और 110 फीसदी से ऊपर को अत्यधिक मॉनसून माना जाता है। कृषि भारत के जीडीपी में 15 फीसदी योगदान देता है और इसपर देश की 60 फीसदी आबादी आजीविका के लिए निर्भर है।
देश की कृषि काफी हद तक मॉनसून पर निर्भर है क्योंकि सिर्फ 40 फीसदी कृषि योग्य भूमि सिंचाई के तहत है। साल 2015-16 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में खराब मॉनसून की वजह से 10 राज्यों में सूखा घोषित किया गया है और केंद्र ने किसानों की मदद के लिए तकरीबन 10 हजार करोड़ रूपये स्वीकृत किए हैं