पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद नावेद से कुछ और जानकारियां मिली है। नावेद 27 मई से ही आतंकी अभियान में ट्रेनिंग हासिल करने के बाद शामिल हो चुका था। नावेद आतंकी संगठन लश्कर में नंबर दो की पोजीशन वाले आतंकी अबू दुजना के निरंतर संपर्क में था। उसे कश्मीर में स्थानीय लोगों का सहयोग भी हासिल था। नावेद कश्मीर में 27 मई से रह रहा था। वह यहां लश्कर तोएबा के ठिकाने में छिपकर 40 दिनों तक रहा। इस दौरान वह दक्षिण कश्मीर के भी कुछ इलाकों में रहा। वह पाक अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद के हलान में सबसे पहले गया।
इस दौरान उसके साथ नोमान, ओकाशा और खैबर पख्तून का आतंकी मोहम्मद भाई भी था। नावेद सीमा के करीब 2 जून को पहुचा और फिर कुपवाड़ा में तार काटकर भारतीय सीमा में प्रवेश किया। उसके बाद इन सभी आतंकियों ने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिया। सात जून को ये सभी 18 किलोमीटर तक पैदल चलकर तंगमार्ग में बाबा ऋषि पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद ये सभी एक लोकल गाइड से मिले।
9 जून को ये सभी आतंकी ट्रिपर के जरिए पुलवामा के लिए निकले। इस दौरान ये सभी पुलिस की नजरों से बच निकलने में कामयाब रहे। अबू कासिम ने उस्मान यानी नावेद को फिदाइन हमले की ट्रेनिंग दी थी। 4 अगस्त को नावेद अपने आतंकी साथी नोमान के साथ दोपहर सवा दो बजे पहले पंजाब और उसके बाद रामबन पहुंचा। उनके साथ दो बैग और खाने का सामान भी था। उधमपुर में जिस ट्रक का इस्तेमाल किया गया उसका नंबर (jk13 2586 ) था।
इस बीच पुलिस ने उस वाहन को बरामद कर लिया है जिसके जरिए आतंकी नावेद अपने साथियों के साथ यहां आया था। पुलिस ने लाल रंग की ट्रिपर को भी बरामद कर लिया है । यह भी पता चला है कि जो ड्राइवर गाड़ी चला रहा था वह पुलवामा का ही रहनेवाला है। इस बीच पुलिस ने एक जीपीएस सिस्टम भी बरामद किया है जिससे यह पता चल सकता है कि नावेद और उसके आतंकी साथियों को किस आतंकी कमांडर से निर्देश मिल रहे थे। खुफिया एजेंसियों की अलर्ट की मानें तो उधमपुर क्षेत्र में एक अन्य आतंकी संगठन की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता है।