वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के मंदी के दौर में जाने की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और आपूर्ति श्रृंखला में अवरोधों के बावजूद भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति को सात प्रतिशत से नीचे लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
लोकसभा में नियम 193 के तहत महंगाई के विषय पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि मुश्किल दौर में पूरा देश एक होकर खड़ा हुआ और यही कारण है कि आज हम शेष दुनिया के मुकाबले अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय जनता को दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से लगातार विश्व बैंक और आईएमएफ जैसी एजेंसियां जहां दुनिया की खराब आर्थिक स्थिति की बात कर रही हैं, वहीं उनका कहना है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है।सीतारमण ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के अनेक कदमों के कारण देश की हालत कई अन्य देशों से अच्छी है।
उन्होंने कांग्रेस सदस्य अधीर रंजन चौधरी की एक टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत के मंदी के दौर में जाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता, जबकि दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाएं मंदी के कगार पर हैं।सीतारमण ने कहा कि खबरों के अनुसार चीन में 4,000 से अधिक बैंक दिवालिया होने के कगार पर हैं।
जबकि भारत में व्यावसायिक बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में सुधार हुआ है और यह छह साल के सबसे कम स्तर 5.9 प्रतिशत पर है। उन्होंने कहा कि भारत का कर्ज और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात वित्त वर्ष 2021-22 में 56.21 है, जो कई देशों से बहुत कम है।
अपने डेढ़ घंटे से अधिक अवधि के जवाब में सीतारमण ने कहा कि वैश्विक स्तर पर महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध, आपूर्ति श्रृंखला में गतिरोध तथा चीन में जगह-जगह लगातार लॉकडाउन के बावजूद भारत की स्थिति दुनिया के कई देशों से बेहतर है। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में भी भारत में खुदरा मुद्रास्फीति को सात प्रतिशत या इससे नीचे बनाकर रखने का प्रयास किया जा रहा है।सीतारमण ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के हालिया बयान का भी जिक्र किया।
राजन ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने में अच्छा काम किया है और उसकी स्थिति श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों जैसी नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि राजन के अनुसार पूरी दुनिया में महंगाई है, ऐसे में रिजर्व बैंक नीतिगत दर बढ़ा रहा है, जिससे मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने यह भी कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति दुनिया में कम हो रही है और भारत में भी कम होगी।